विकासशील देशों के लिए क्रेडिट रेटिंग पद्धति में सुधार की जरूरत: निर्मला सीतारमण

    26-Oct-2024
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(Image Source : x/@nsitharamanoffc)

नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की 2024 वार्षिक बैठक में उभरते बाजारों और विकासशील देशों के लिए सॉवरेन रेटिंग की निष्पक्षता और सटीकता पर जोर दिया। शुक्रवार को वाशिंगटन, डीसी में आयोजित आईएमएफसी सत्र में उन्होंने कहा कि ईएमडीई (उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाएं) के आर्थिक हालात को सही ढंग से दर्शाने के लिए रेटिंग पद्धतियों में सुधार जरूरी है, ताकि इन देशों के पास पूंजी तक पहुंच बढ़े और निजी निवेश आकर्षित हो सके।

सीतारमण ने सुझाव दिया कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को इन देशों की पुनर्भुगतान क्षमता और आर्थिक मजबूती को सही ढंग से आंकना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करना चाहिए ताकि सॉवरेन रेटिंग ज्यादा निष्पक्ष हो सके।
 
साथ ही, सीतारमण ने IMF और अन्य वैश्विक संस्थानों में शासन सुधारों की मांग की, जिससे वे बदलते वैश्विक आर्थिक हालात के अनुसार खुद को ढाल सकें। उन्होंने कहा कि पिछले 80 सालों में IMF की भूमिका में काफी बदलाव आया है, और अब समय है कि वह इसे स्वीकार करे।

2024 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चर्चा करते हुए, सीतारमण ने इसके लचीलेपन की सराहना की लेकिन यह भी बताया कि भू-राजनीतिक तनाव और मध्यम अवधि की कमजोर वृद्धि संभावनाएं अब भी चुनौती हैं। उन्होंने कहा कि कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अपनी पूर्ण उत्पादन क्षमता के करीब हैं और मुद्रास्फीति भी नियंत्रण में आ रही है, लेकिन नकारात्मक जोखिम बने हुए हैं।

सीतारमण ने IMF के वैश्विक नीति एजेंडे का समर्थन किया, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए "सॉफ्ट लैंडिंग" पर ध्यान केंद्रित करता है और कम विकास तथा उच्च ऋण के चक्र से बाहर निकलने की कोशिश करता है। उन्होंने IMF से नीति मार्गदर्शन में निष्पक्षता बनाए रखने का आग्रह किया, ताकि सदस्य देशों के लिए समानता सुनिश्चित हो सके।

अंत में, सीतारमण ने एकता बनाने में IMF के प्रयासों की सराहना की और IMF से अपनी निगरानी, ऋण और क्षमता विकास के कामों में अनुकूलता बनाए रखने का आग्रह किया ताकि ये संस्थान अपने सदस्य देशों की बेहतर सेवा कर सकें।