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यवतमाल :
पुसद क्षेत्र के प्रतिष्ठित नाईक परिवार का महाराष्ट्र की राजनीति में विशेष महत्व है। राज्य की बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों के बीच अब नाईक बंगलों में ही राजनीतिक रस्साकशी दिखाई दे रही है। सवाल है - बड़े भाई या छोटे भाई? यह सवाल अब नाईक परिवार में पेचीदा बन गया है।
नाईक परिवार का राजनीतिक सफर महाराष्ट्र राज्य निर्माण से पहले का है। इस परिवार ने राज्य को दो मुख्यमंत्री दिए हैं – वसंतराव नाईक और सुधाकरराव नाईक। इस परंपरा को अविनाश नाईक, मनोहरराव नाईक, नीलय नाईक और वर्तमान विधायक इंद्रनील नाईक ने आगे बढ़ाया। जब शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) बनाई, तो सुधाकरराव नाईक उनके साथ हो लिए। इसके बाद से नाईक परिवार राष्ट्रवादी कांग्रेस से जुड़ा रहा है। हालांकि, पिछले वर्ष एनसीपी में हुए विभाजन के बाद पुसद के विधायक इंद्रनील नाईक अजित पवार गुट में चले गए। मनोहरराव नाईक ने इस पर कभी सार्वजनिक रूप से बयान नहीं दिया, लेकिन माना जाता है कि वह भी अजित पवार गुट का हिस्सा हैं।
मनोहरराव नाईक के बड़े बेटे ययाती नाईक, जो यवतमाल जिला परिषद के उपाध्यक्ष रह चुके हैं, लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं। हालांकि, विधायक की उम्मीदवारी के लिए उन्हें दरकिनार करते हुए छोटे भाई इंद्रनील को मौका दिया गया था, जिसके बाद से ययाती राजनीतिक अवसर की तलाश में हैं। एनसीपी में विभाजन के बाद, इंद्रनील के अजित पवार गुट में जाने के बाद ययाती ने शरद पवार के साथ अपने संबंध मजबूत किए। आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट हासिल करने के लिए ययाती ने सीधे शरद पवार से संपर्क किया। इस दौरान पुसद के नाईक बंगले के सामने शरद पवार, जयंत पाटिल, सुप्रिया सुले, रोहित पवार जैसे नेताओं के साथ ययाती नाईक के समर्थन में पोस्टर भी लगे थे। हालांकि अब वे पोस्टर हटा दिए गए हैं, लेकिन ययाती की राजनीतिक महत्वाकांक्षा जगजाहिर है।
उनके सामने सबसे बड़ा चुनौती उनके छोटे भाई इंद्रनील नाईक हैं, जो अजित पवार गुट से चुनाव लड़ेंगे। हाल ही में इंद्रनील की शरद पवार से गुप्त मुलाकात की भी चर्चा है, जिससे पुसद की राजनीति में हलचल मची हुई है।
भाजपा के पूर्व विधान परिषद सदस्य और नाईक परिवार के एक अन्य सदस्य, नीलय नाईक भी चुनाव में खड़े होने के इच्छुक थे, लेकिन वसंतराव नाईक विमुक्त जाती और भटक्या जमाती विकास महामंडल के अध्यक्ष पद पर उनकी नियुक्ति के बाद यह संभावना कम हो गई है। इससे इंद्रनील नाईक के लिए भाजपा की महायुती से कोई प्रमुख प्रतिस्पर्धा फिलहाल नहीं दिख रही है।
शरद पवार की रणनीति निर्णायक
पुसद विधानसभा क्षेत्र बंजाराबहुल है, और यहां नाईक परिवार का वर्चस्व कायम है। पिछले कुछ चुनावों से इस परिवार के अलावा किसी अन्य समाज का उम्मीदवार विजयी नहीं हुआ है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार नाईक परिवार में चल रही अनबन का फायदा शरद पवार उठा सकते हैं। अगर उन्होंने ययाती नाईक को महाविकास आघाड़ी की तरफ से टिकट दिया, तो दोनों भाई आमने-सामने होंगे। अगर ऐसा होता है, तो पुसद के राजनीतिक इतिहास में यह एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।