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नागपुर :
सुप्रीम कोर्ट ने रश्मि बरवे को बड़ी राहत देते हुए राज्य सरकार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया है। यह याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ थी, जिसने बरवे के पक्ष में फैसला सुनाया था। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने राज्य की अपील को खारिज कर दिया, जिससे बरवे को न्याय मिला है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नागपुर की जाति परीक्षण समिति के आचरण पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने 9 दिनों के भीतर रश्मि बरवे के जाति प्रमाणपत्र और जाति वैधता प्रमाणपत्र को अमान्य घोषित करने के तरीके पर नाराजगी जाहिर की। न्यायालय ने समिति के इस फैसले को जल्दबाजी और अनुचित बताया।
रश्मि बरवे का मामला तब सामने आया जब नागपुर की जाति परीक्षण समिति ने उनके जाति प्रमाणपत्र को अवैध करार दिया। इसके बाद बरवे ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने उनके पक्ष में निर्णय दिया। राज्य सरकार ने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है।
राज्य की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अधिवक्ता आदित्य पांडे ने पैरवी की, जबकि रश्मि बरवे की ओर से अधिवक्ता दमा शेषाद्रि नायडू, समीर सोनवणे, शैलेश नर्नावरे, अमित ठाकुर, आकिद मिर्जा और शीबा ठाकुर ने कोर्ट में उनका पक्ष रखा।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला रश्मि बरवे के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है और इसी तरह के जाति प्रमाणपत्र संबंधी मामलों में एक अहम मिसाल बन सकता है। राज्य सरकार के लिए यह एक झटका है, और यह मामले में निष्पक्ष प्रक्रिया और गहन जांच के महत्व को भी रेखांकित करता है।