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नई दिल्ली : राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) के एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, ग्रामीण परिवारों की औसत मासिक आय में पिछले पांच वर्षों में 57.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि 2016-17 में 8,059 रुपये से बढ़कर 2021-22 में 12,698 रुपये तक पहुंच गई है, जो 9.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर दर्शाती है।
सर्वेक्षण में बताया गया है कि वित्तीय बचत में भी सुधार हुआ है। 2021-22 में औसत घरेलू बचत 13,209 रुपये थी, जबकि 2016-17 में यह 9,104 रुपये थी। अब 66 प्रतिशत परिवार बचत करते हैं, जो पहले 50.6 प्रतिशत थे। हालांकि, बकाया कर्ज वाले परिवारों की संख्या 47.4 प्रतिशत से बढ़कर 52 प्रतिशत हो गई है।
बीमा कवरेज में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2016-17 में जहां केवल 25.5 प्रतिशत परिवारों ने बीमा कराया था, वहीं यह संख्या 2021-22 में 80.3 प्रतिशत तक पहुंच गई। यह कोविड-19 के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं की बढ़ती पहुंच को दर्शाता है।
सर्वेक्षण में यह भी बताया गया कि ग्रामीण परिवारों की औसत मासिक खर्च 2016-17 में 6,646 रुपये से बढ़कर 2021-22 में 11,262 रुपये हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि खाद्य पदार्थों पर खर्च की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से घटकर 47 प्रतिशत हो गई है, जिससे अन्य जरूरतों की ओर खर्च में बदलाव का संकेत मिलता है।
सर्वेक्षण ने यह भी दिखाया कि कृषि परिवारों की संस्थागत ऋणों पर निर्भरता बढ़ी है। 2021-22 में 75.5 प्रतिशत कृषि परिवारों ने संस्थागत स्रोतों से उधार लिया, जबकि 2016-17 में यह संख्या 60.5 प्रतिशत थी। गैर-संस्थागत उधारी 30.3 प्रतिशत से घटकर 23.4 प्रतिशत हो गई है।
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की प्रभावशीलता को भी उजागर किया गया है, जिससे ग्रामीण किसानों के बीच वित्तीय समावेशन बढ़ा है। इसके अलावा, पेंशन कवरेज में भी सुधार हुआ है, जो 18.9 प्रतिशत से बढ़कर 23.5 प्रतिशत परिवारों तक पहुंच गया है।
अंत में, सर्वेक्षण ने वित्तीय साक्षरता और बेहतर वित्तीय व्यवहार में वृद्धि की भी पुष्टि की है, लेकिन भूमि के औसत आकार में गिरावट आई है, जो 1.08 हेक्टेयर से घटकर 0.74 हेक्टेयर रह गया है।