नागपुर : 20 से कम पटसंख्या की शालाओं का एकत्रिकरण कर समूह शाला (क्लस्टर) निर्माण की साजिश राज्य सरकार ने शुरु की है। इस कारण बहुल इलाकों की कम पटसंख्या वाली 4 हजार 783 शाला बंद होने की संभावना है। यहां करीबन लाख 85 हजार विद्यार्थियों पर शालाबाह्य होने का संकट आने की संभावना है. इस पर शिक्षण क्षेत्र ने नाराजगी व्यक्त की है।
शासकीय शाला बंद करने की यह साजिश रहने का आरोप भी विरोधियों ने किया है। बहुल इलाकों में रहने वाले विद्यार्थियों तक शिक्षा की गंगा पहुंचाने के लिए शासन ने अनेक छोटी-छोटी शालाएं शुरु की. 202-22 की आंकडेवारी के मुताबिक 20 से कम पटसंख्या की शालाओं में 4 हजार 783 शालाओं में 1 लाख 85 हजार विद्यार्थी और 29 हजार 707 शिक्षक है। विद्यार्थियों का सामाजिकरण, खेल वृत्ति, विविध स्पर्धा व सुविधा की उपलब्धता के कारण देते हुए 20 से कम पटसंख्या वाली शाला परिसर की बडी शालाओं से जोडने का निर्णय लिया गया है। शासन के इस निर्णय के कारण विद्यार्थियों के शिक्षण में दुविधा निर्माण होने का भय शिक्षा विशेषज्ञों ने व्यक्त किया है. जबकि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने भी जिला परिषद की शाला बंद की तो देख लेने की चेतावनी दी है। शिक्षण हक कानून के मुताबिक पाल्यों को घर के निकट शिक्षा उपलब्ध कर देना यह सरकार का कर्तव्य है. सरकार का यह निर्णय बहुजन समाज के युवकों को शिक्षा से वंचित रखने वाला है पटोले ने कहा।