अमरावती : अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायकों के एक बड़े समूह के साथ राज्य की सत्ता में शामिल हो गए हैं। हालांकि अजित पवार वर्तमान में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के पद पर कार्यरत हैं, लेकिन समय-समय पर विभिन्न दलों के नेताओं द्वारा यह दावा किया जाता रहा है कि वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनेंगे। इस बीच विधानसभा अध्यक्ष शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेंगे। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ-साथ शिवसेना के शिंदे गुट के 16 विधायकों पर अयोग्यता का खतरा मंडरा रहा है। कांग्रेस के साथ-साथ शिवसेना का ठाकरे समूह दावा कर रहा है कि एकनाथ शिंदे समेत सभी विधायक अयोग्य ठहराए जाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो ऐसी भी चर्चा है कि अजित पवार राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले तीन महीनों में शिवसेना विधायकों की अयोग्यता के संबंध में पर्याप्त कार्रवाई करने में विधानसभा अध्यक्ष की विफलता पर नाराजगी व्यक्त की। एक सप्ताह के अंदर सुनवाई शुरू करने का भी निर्देश दिया गया है। तो एकनाथ शिंदे के सिर पर अयोग्यता की तलवार लटक रही है। इसीलिए चर्चा है कि बीजेपी ने अपना प्लान बी तैयार कर लिया है।
इस बीच प्रहार जन शक्ति पार्टी के प्रमुख और विधायक बच्चू कडू ने विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे और मुख्यमंत्री बदलने की बात पर बड़ा बयान दिया है। बच्चू कडू ने कुछ देर पहले अमरावती में मीडिया से बातचीत की। इस समय पत्रकारों ने बच्चू कडू से पूछा कि ऐसी चर्चा चल रही है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके विधायक अयोग्य घोषित किये जायेंगे और अजित पवार, देवेंद्र फडणवीस या राधाकृष्ण विखे पाटिल मुख्यमंत्री बनेंगे, इसमें कितनी सच्चाई है, बहस? इस पर बच्चू ने कड़वाहट से कहा, ऐसा नहीं हो सकता। अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।
विधायक बच्चू कडू ने कटु स्वर में कहा, 'अभी जो गड़बड़ी की गई है, उससे राज्य में नकारात्मक माहौल बन रहा है। इस माहौल को सकारात्मक बनाने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को कड़ी मेहनत करनी होगी। इसके अलावा अगर एकनाथ शिंदे को सत्ता से हटाया गया, मुख्यमंत्री पद से हटाया गया तो बीजेपी को नुकसान होगा। क्योंकि एकनाथ शिंदे को मानने वालों का एक बड़ा वर्ग है। इस सब से उनके 5 से 10 फीसदी वोटर नाराज होंगे। इसलिए एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद से हटाने पर बीजेपी के मंसूबे काम नहीं आएंगे। फिर वह लोग अपनी योजना शुरू करेंगे और फिर जनता तय करेगी कि उस योजना में किस पार्टी को रखना है और किस पार्टी को नहीं रखना है।