रायपुर : छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। एक मिशनरी बोर्डिंग स्कूल के हॉस्टल में कम से कम 45 बच्चों को फूटबाल को नुक्सान पहुंचाने के कारण कथित तौर पर 2 दिन के लिए भूखा रखा गया। अधीक्षक फादर, पीटर सॅडॉम ने अधिकारियों के सामने ये स्वीकार किया कि उन्होंने बच्चों को दो वक्त का खाना नहीं दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों को 'संघर्ष करना सीखना' चाहिए। अधीक्षक की इस गलती पर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है।
प्रतापपुर (रायपुर से ३८० किमी) में स्थित स्कूल को बिशप हाउस, अंबिकापुर द्वारा चलाया जाता है। यहां 141 लड़के-लड़कियां हैं, जबकि छात्रावास में सिर्फ 21 सीटें हैं और इन में से ज्यादातर बच्चे गरीब परिवार से है। सूत्रों का कहना है कि बच्चों को दो कमरों में इतना कसकर ठूंस दिया जाता है कि पैर रखने तक की जगह नहीं बचती। खाना न देने की बात तब सामने आई जब स्थानीय लोगों द्वारा बच्चों को बिस्कुट बांटने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
प्रशासन ने तुरंत जांच के आदेश दिए। जांच के दुराण पता चला की 28 अगस्त को बच्चे फुटबॉल खेल रहे थे तभी वह बॉल फट गया। रिपोर्ट के मुताबिक़, सॅडॉम को बहुत गुस्सा आया और उसने बच्चों से कहा कि उन्हें अपने 'किये का पछतावा होगा' और 'उन्हें सजा मिलनी चाहिए'।
हॉस्टल में गए जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को बताया गया कि ४५ छात्रों को फूटबाल फाड़ने के लिए 'सजा' दी गई थी। सॅडॉम ने अपनी कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा, "हम बच्चों के लिए हर चीज़ की व्यवस्था करते है, फिर भी वे बर्तन और गेंदे तोड़ देते उन्हें संघर्ष करना सीखना चाहिए और गलत काम के लिए सजा भुगतनी चाहिए। हमने उन्हें दो वक्त का खाना नहीं दिया, दो दिन तक भूखा रखने वाला आरोप गलत है।"
बाल कल्याण समिति, स्कूल व हॉस्टल का निरीक्षण करेगी। जिन कमरों में बच्चे रहते है, वहा कीटनाशकों की बोतलें देखकर अधिकारी हैरान रह गए। मां-बाप और ग्रामीण गुस्से में थे, उन्होंने कार्रवाई की मांग करते हुए कहा की सॅडॉम की निगरानी में बच्चे सुरक्षित नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी ने आरोपों की सूची होने वाली इन्क्वायरी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी। रिपोर्ट के आधार पर, बिशॉप हाउस ने सॅडॉम के हॉस्टल की सभी गतिविधियों और जिम्मेदारियों से सस्पेंड कर दिया और उसे अंबिकापुर में स्थित कार्यालय संलग्न कर दिया।