अगस्त में बारिश नदारद! बुलढाणा, अकोला और अमरावती के लिए खतरे की घंटी

    30-Aug-2023
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  • क्या सूखे की कगार पर है विदर्भ?
no rain in august alarm bells for buldhana akola and amravati - Abhijeet Bharat 
बुलढाणा : अगस्त महीने विदर्भ के सभी जिलों में बारिश मानो नदारद ही रही। इसके चलते विदर्भ के बुलढाणा, अकोला और अमरावती जिले सूखे की दृष्टि से रेड जोन में आ गये हैं. वही गोंदिया और वाशिम जिले भी सूखे के कगार पर हैं. ऐसे में सितंबर के महीने में भी मध्य भारत में ज्यादा बारिश की संभावना नहीं होने से विदर्भ का आधा हिस्सा सूखे के गंभीर खतरे में है।
 
अगस्त का महीना सूखे में गुजरा
 
इस वर्ष मानसून देर से आया लेकिन शुरुआती दौर में भारी बारिश हुई है। जुलाई माह में पूरे विदर्भ में 43 प्रतिशत तक अतिरिक्त वर्षा रिकॉर्ड की गयी । लेकिन अगस्त का महीना लगभग सूखा ही गुजरा. अमरावती, अकोला और बुलढाणा जिलों में वर्षा में क्रमशः 32, 29 और 22 प्रतिशत की कमी हुई है। उससे नीचे वाशिम और गोंदिया में क्रमश: 16 और 17 फीसदी कम बारिश हुई है।
 
अमरावती, अकोला और बुलढाणा "रेड जोन" में
 
मौसम विभाग के मुताबिक 0 से 19 फीसदी की कमी सामान्य है और इससे ज्यादा कमी होने पर सूखा घोषित किया जा सकता है. ऐसे में अमरावती, अकोला और बुलढाणा सूखे के लाल क्षेत्र में आ गए हैं। इसके अलावा, वाशिम और गोंदिया जिले भी सूखे की कगार पर हैं।
 
बाकी जिलों का क्या हाल ?
 
यही नहीं नागपुर, चंद्रपुर, गढ़चिरौली और वर्धा जिलों में भी बारिश औसत से करीब घाटा 10 प्रतिशत कम है हलाकि यह सामान्य बात है. इसके साथ ही विदर्भ में यवतमाल जिले में सबसे ज्यादा 8 फीसदी और भंडारा में 3 फीसदी अतिरिक्त बारिश हुई है. विदर्भ में 1 जून से 26 अगस्त तक औसतन 730.4 मिमी बारिश की उम्मीद है। लेकिन इस साल सिर्फ 670.7 मिमी बारिश ही दर्ज हुई है. जो सामान्य से 8 फीसदी कम है। ऐसे में मान लिया जाए की विदर्भ का आधा हिस्सा पूरी तरह से सूखे की संकट से जूझ रहा है।
 
सितंबर के दूसरे सप्ताह में बारिश की उम्मीद है
 
अगस्त का आखिरी सप्ताह और सितंबर का पहला सप्ताह शुष्क रहेगा और मौसम विभाग ने इस दौरान औसत से कम बारिश की भविष्यवाणी की है. उसके बाद सितंबर के दूसरे हफ्ते में पूर्वी विदर्भ में बारिश की तीव्रता बढ़ जाएगी. हालांकि पश्चिम विदर्भ में ज्यादा बारिश की उम्मीद नहीं है. इसलिए ऐसा देखा जा रहा है कि अमरावती, अकोला, बुलढाणा और वाशिम जिलों में कमी को पूरा करना मुश्किल है.