पर्यावरणीय परिवर्तन के कारण विलुप्त होते पक्षी

    10-Jul-2023
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birds - Abhijeet Bharat
 
पृथ्वी पर हमें विभिन्न प्रकार के पशु-पक्षी मिलते हैं, जो हमारे प्राकृतिक वातावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। हालांकि, हमारी प्राकृतिक संपदा के दूसरी ओर, हम दुखी तौर पर जानते हैं कि दुनिया की जानवरों और पक्षियों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। यह गिरावट न केवल पर्यावरणीय परिवर्तनों के कारण हो रही है, बल्कि मुख्य रूप से मनुष्य की गतिविधियों और उनकी अज्ञानता के कारण भी हो रही है। इस लेख में, हम विलुप्त होते पक्षियों के बारे में चर्चा करेंगे और इससे बचाव के उपायों पर भी ध्यान देंगे।
 
पक्षी विलुप्ति एक गंभीर समस्या है, क्योंकि पक्षियों का महत्वपूर्ण योगदान हमारी प्राकृतिक पेयजल और खाद्य सुरक्षा में होता है। पक्षियों को बीज और फल बोने, उगाने और फैलाने का महत्वपूर्ण कार्य मिलता है, जिससे वनस्पतियों का प्रजनन होता है। इसके अलावा, पक्षी भी कीट-नियंत्रण करने में मदद करते हैं, जो हमारे खेती और फसलों को सुरक्षित रखता है। पक्षियों का एक और महत्वपूर्ण योगदान हमारे बायोडायवर्सिटी को सुस्थिती बनाए रखना है। पक्षियों के संकट ग्रस्त होने से हमारे प्राकृतिक परिदृश्य, बायोलॉजिकल संतुलन और वातावरणीय सेवाओं में कमी आती है।
 
विलुप्त होते पक्षियों की प्रमुख कारणों में से एक हैं पर्यावरणीय परिवर्तन। जंगलों की कटाई, अनुचित वन्यजीव व्यापार, औद्योगिकीकरण, वन, आग, जल प्रदूषण, हवा प्रदूषण, जैव उपयोग और जलवायु परिवर्तन के कारण पक्षियों के आवास की हानि हो रही है। इसके अलावा, जीवाश्मी शस्त्रधारी पक्षी जैसे कीटों और रोगों के आक्रमण के कारण भी पक्षियों की संख्या में गिरावट होती है। इंसानी गतिविधियां भी एक महत्वपूर्ण कारक हैं, जैसे नगरीकरण, उर्वरकों और कीटनाशकों का अधिकतम उपयोग, वायु यातायात और भूमि संपत्ति की विस्तार योजनाएं है।
 
पक्षियों को बचाने के लिए हमें कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। पहले, हमें अपनी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। हमें अपने जीवन शैली में सतत वन्यजीवों के लिए स्थान छोड़ना होगा, जैसे कि उनके आवास के लिए उपयुक्त वन, नदी और झीलों की सुरक्षा और सफाई का ध्यान रखना होगा।
 
दूसरा, हमें जैव उपयोग पर नियंत्रण लगाना होगा। कीटनाशकों का सतत उपयोग रोकना चाहिए और पर्यावरण के प्राकृतिक तरीकों से कीटों और रोगों का नियंत्रण करना चाहिए। वन्यजीवों के आहार और आवास को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न संगठनों, सरकारी निकायों और जनसाधारण को मिलकर काम करना चाहिए।
 
तीसरा, हमें वनस्पति की विस्तार योजनाएं बनानी चाहिए जिसमें पक्षियों के आवास का ख्याल रखा जाए। इसके साथ ही, हमें प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न सुरक्षा क्षेत्रों और अभयारण्य की स्थापना करनी चाहिए।
 
चौथा, हमें पक्षियों के विलुप्त होने की प्रक्रिया को रोकने और पक्षियों की संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए जनसंचार और शिक्षा के महत्वपूर्ण मानना चाहिए। लोगों को पक्षियों के महत्व के बारे में जागरूक करना चाहिए और उन्हें यह जानने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे अपने आसपास के पक्षियों के लिए संरक्षण कार्यों में सहभागी बन सकें। शिक्षा प्रणालियों के माध्यम से बच्चों को पक्षियों के महत्व और संरक्षण के बारे में शिक्षा देनी चाहिए।
 
अंत में, सरकारों, सामुदायिक संगठनों, वन्यजीव संरक्षण संगठनों और वैज्ञानिकों के बीच सहयोग और संयुक्त प्रयास करने की आवश्यकता है। इन संगठनों को पक्षियों की संरक्षण योजनाओं को विकसित करने, संग्रहीत डेटा के आधार पर निर्धारित कार्यों को प्राथमिकता देने और पक्षियों के संरक्षण के लिए कानूनों को संशोधित करने में मदद करनी चाहिए। पक्षी विलुप्ति एक गंभीर मुद्दा है जिसका हमें ध्यान रखना चाहिए। धीरे-धीरे विलुप्त हुए कुछ पक्षियों के नाम हम देखते है जैसे जंगली उल्लू, बेयर पोचार्ड,जॉर्डन कोर्टर,भारतीय गिद्ध हिमालयन बटेर, साइबेरियन क्रेन, बंगाल फ्लोरिकन दुबला-पतला गिद्ध, सोसिएबल लैपविंग लाल सिर वाला गिद्ध, सफेद पीठ वाला गिद्ध महान भारतीय बस्टर्ड, सफेद पेट वाला बगुला गुलाबी सिर वाली बतख,स्पून-बिल्ड सैंडपाइपर आदि मनुष्य के जीवन और प्रकृति के बीच संतुलन को बनाए रखने के लिए हमें पक्षियों की संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता और संगठित कार्रवाई की आवश्यकता है। जब हम पक्षियों को संरक्षित रखते हैं, तो हम अपने आप को और आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ और सुरक्षित प्राकृतिक वातावरण का उपहार देते हैं।
 
प्रणव सातोकर
नागपुर
9561442605
 
*Disclaimer : ब्लॉग एक स्वतंत्र मंच है। इसलिए, व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं।