विदर्भ के किसानों के लिए झींगा उत्पादन साबित होगा वरदान; केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जताया भरोसा

19 Nov 2023 13:04:59
  • महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विश्वविद्यालय में बैठक आयोजित
  • मत्स्य पालन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार भी रहे उपस्थित
  • एक्वा एक्सचेंज कंपनी ने दिया प्रेजेंटेशन
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नागपुर : विदर्भ के अधिकांश जिलों में किसानों ने आत्महत्या कर ली है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को विश्वास व्यक्त किया कि यदि खारे पानी और मीठे पानी के झींगा का उत्पादन पूर्व और पश्चिम विदर्भ के संभावित क्षेत्रों में किया जाए, तो यह आर्थिक लाभ का वरदान हो सकता है। गडकरी महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय में आयोजित एक बैठक में भाषण दे रहे थे। इस अवसर पर राज्य के मत्स्यपालन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, सांसद डॉ. अनिल बोंडे, विधायक आशीष जयसवाल, विधायक वसंत खंडेलवाल, पूर्व सांसद डॉ. विकास महात्मे, मत्स्यपालन विभाग के आयुक्त डॉ. अतुल पटने, पशु एवं मत्स्यपालन विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नितिन पाटिल, सहायक आयुक्त रवींद्र वायडा, क्षेत्रीय उपायुक्त सुनील जांभुले, सुरेश भारती, कलेक्टर डॉ. विपीन इटनकर, भंडारा के कलेक्टर योगेश कुंभेजकर, एक्वा एक्सचेंज कंपनी के वेंकट मुख्य रूप से उपस्थित थे।
 
इस अवसर पर एक्वा एक्सचेंज कंपनी की ओर से राजस्थान, गुजरात और अन्य राज्यों में मीठे पानी और खारे पानी के झींगे के उत्पादन से किसानों को होने वाले फायदे पर एक प्रेजेंटेशन दिया गया। उनकी ओर से यह भी दावा किया गया कि किसानों को प्रति एकड़ दो से तीन लाख रुपए का मुनाफा हो सकता है। नितिन गडकरी और सुधीर मुनगंटीवार ने अधिकारियों को सफलता के पैमाने को समझने के लिए परियोजना को पायलट आधार पर लागू करने का निर्देश दिया। गडकरी ने कहा, 'पूर्वी विदर्भ में छह हजार मालगुजारी झीलें हैं। यहां मीठे पानी के झींगा का उत्पादन संभव है। इसके अलावा, अमरावती सहित पश्चिम विदर्भ के कुछ जिले खारे पानी के झींगा का उत्पादन कर सकते हैं।
 
इन दोनों क्षेत्रों की क्षमताओं का उपयोग कर किसानों को झींगा उत्पादन से अधिकतम लाभ दिलाने पर विचार किया जाना चाहिए। इसके लिए कुछ मात्रा में तालाब बनाने होंगे और किसानों को बीज उपलब्ध कराने होंगे। उन्होंने कहा कि झींगा उत्पादन और मछली पालन के जरिए किसानों के आर्थिक लाभ की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। मालगुजारी तालाबों के गहरीकरण हेतु मीठे पानी का झींगा उत्पादन क्षेत्र विकसित किया जा सकता है। साथ ही पश्चिम विदर्भ के अमरावती, अकोला, बुलढाणा जिलों में खारे पानी के स्तर में सरकार की ओर से पूरा सहयोग किया जा सकता है। सुधीर मुनगंटीवार ने बताया कि नावों के नवीनीकरण और गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग करने के लिए जल्द ही एक योजना तैयार की जाएगी।
 
समन्वय के माध्यम से परियोजना का किया जाए क्रियान्वयन
 
गडकरी ने सुझाव दिया कि सभी विभागों को समन्वय बनाकर खारे पानी और मीठे पानी के झींगा उत्पादन के पायलट प्रोजेक्ट को लागू करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए पहल करने वाले किसानों को एक्वा एक्सचेंज कंपनी के साथ-साथ महाराष्ट्र एनिमल एंड फिशरीज यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों द्वारा भी मार्गदर्शन किया जाना चाहिए। अगर बड़े पैमाने पर झींगा का उत्पादन किया जाए तो इसे अमेरिका और अन्य देशों में निर्यात किया जा सकता है और इससे किसानों को काफी फायदा हो सकता है। राजस्थान एवं अन्य राज्यों में निर्यात के प्रयोग से किसानों का आर्थिक लाभ बढ़ा है। गडकरी ने इसके लिए राजस्थान के चुरू जिले का उदाहरण भी दिया।
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