अमरावती : मनोज जरांगे-पाटिल ने सरकार से मांग की है कि मराठा समुदाय को कुणबी प्रमाणपत्र और ओबीसी श्रेणी से आरक्षण दिया जाना चाहिए. इसके लिए सरकार को 24 दिसंबर तक की डेडलाइन दी गई है. ऐसे में मंत्री छगन भुजबल और ओबीसी नेताओं ने सीधे तौर पर कुणबी सर्टिफिकेट देने का विरोध जताया है. इस मामले को लेकर राज्य का माहौल गरमा गया है. ऐसे में पूर्व मंत्री और विधायक बच्चू कडू के बयान से चर्चा छिड़ गई है.
बच्चू कडू ने कहा “शरद पवार ने एक पत्र में 52 जातियों को ओबीसी में शामिल किया था. इसलिए, असली ओबीसी नेता शरद पवार हैं. लेकिन, अगर 52 जातियों में मराठा समुदाय का भी उल्लेख किया गया होता, तो मुद्दा हल हो गया होता.
मराठा आरक्षण को लेकर दी गई समय सीमा को लेकर सरकारी प्रतिनिधिमंडल जरांगे-पाटिल से कब मिलेगा? इस बारे में पूछे जाने पर बच्चू कडू ने कहा, ''सरकारी प्रतिनिधिमंडल को जरांगे-पाटिल से मिलना चाहिए था और इस पर चर्चा करनी चाहिए थी. अगर जरांगे-पाटिल ने आंदोलन वापस नहीं लिया होता तो सरकार को इसका परिणाम भुगतना पड़ता. सरकार को अपनी बात रखनी चाहिए।”
क्या आप प्रतिनिधिमंडल के न आने के पीछे ओबीसी नेताओं का दबाव देखते हैं? पूछे जाने पर बच्चू कडू ने कहा, ''दबाव की कोई वजह नहीं है. अमेरिका से लाये गये कुछ लोगों को ओबीसी से आरक्षण दिया जाता है. मराठा समुदाय देश का ही है. मराठा समुदाय को मानकर ओबीसी आरक्षण दिया गया. कुछ लोग छत्ते को भूनने का प्रयास कर रहे हैं। उनका ओबीसी और मराठा समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है.