जैन समुदाय के तीर्थ स्थल को दिया 'टूरिज्म' का टैग सरकार ने लिया वापस

    05-Jan-2023
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Shri Sammed Shikharji
(Image Credit: Internet)
 
रांची:
 
केंद्र सरकार द्वारा झारखंड में स्थित मुख्य तीर्थ स्थल सम्मेद शिखरजी को ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में नामित किये जाने से नाराज जैन समुदाय (Shri Sammed Shikharji) ने देशभर में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन किये। जिसने केंद्र सरकार को दोबारा अपने फैसले पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया। गुरुवार को जैन समुदाय द्वारा जारी विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र सरकार ने बड़े पारसनाथ हिल्स अभयारण्य में ऐसी सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी।
 
इसके साथ ही केंद्र सरकार (Shri Sammed Shikharji) ने राज्य को "धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थलों को दूषित करने या शराब के सेवन" या पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाने जैसी प्रतिबंधित प्रथाओं के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने का भी आदेश दिया। जैन समुदाय के कुछ नेताओं ने गुरुवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात की, और अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए बताया कि उन्हें डर है कि इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में नामित करने से "उसकी पवित्रता को ठेस पहुंच सकती है।"
 
 
दरअसल, 'सम्मेद शिखर' (Shri Sammed Shikharji) पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य और तोपचांची वन्य जीव अभयारण्य के पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (eco-sensitive zone) के अंतर्गत आता है। और इन पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों में वर्जित गतिविधियों की एक सूची होती है जो उसके आसपास नहीं हो सकती है। वही वजह है कि नामित प्रतिबंधों इस क्षेत्र में कड़ाई से पालन करवाया जाएगा।
 
 
इससे पहले गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र को अपनी 2019 की अधिसूचना पर "उचित निर्णय" लेने के लिए एक पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने कहा गया कि राज्य की 2021 की पर्यटन नीति- जिसका जैन समुदाय (Shri Sammed Shikharji) विरोध भी कर रहा है- एक प्रबंधन बोर्ड बनाने के लिए है जो धर्मस्थल का बेहतर प्रबंधन कर सके। पत्र में कहा गया कि राज्य के पर्यटन सचिव के नेतृत्व में इसमें छह गैर-सरकारी सदस्य होंगे, जिन्हें जैन समुदाय से चुना जा रहा है। इसमें कहा गया कि समुदाय का विरोध पारसनाथ हिल्स, जहां मंदिर स्थित है, को "पर्यावरण पर्यटन" क्षेत्र घोषित करने की वजह से किया जा रहा है।
 
 
 
यह पत्र केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार को लिखे जाने के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि "आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए आवश्यक संशोधनों की सिफारिश करें।" लगभग दो घंटे बाद, केंद्रीय मंत्रालय ने एक मेमो जारी कर कहा कि पर्यटन गतिविधियों से संबंधित 2019 की अधिसूचना के खंड को तुरंत "स्थगित" (Shri Sammed Shikharji) किया जाए। केंद्रीय पर्यटन मंत्री किशन रेड्डी ने भी एक प्रेस मीट में कहा कि "किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए कुछ भी नहीं किया जाएगा।" उन्होंने जोर देकर कहा कि ईको टूरिज्म का मतलब उस क्षेत्र में कोई स्थायी संरचना, रेस्तरां और ऐसी किसी गतिविधि को प्रतिबंधित करना है, जिससे क्षेत्र को नुकसान पहुंचे। केंद्र ने ज्ञापन में आगे कहा कि प्रबंधन बोर्ड के कम से कम दो सदस्य जैन समुदाय से होने चाहिए।
 
 
 
झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस सरकार तर्क देती रही है कि मूल अधिसूचनाएं (Shri Sammed Shikharji) भाजपा सरकारों द्वारा की गई थी, और केंद्र को कार्रवाई करने की आवश्यकता है। 2019 में मुख्यमंत्री रहे बीजेपी के रघुवर दास भी कह चुके हैं कि अब गलत फैसलों को सुधारा जा सकता है। राज्य की राजधानी रांची से लगभग 160 किमी दूर राज्य की सबसे ऊंची चोटी गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ियों में स्थित यह मंदिर जैनियों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है, क्योंकि यहां 24 जैन तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकर हैं। जिसमें दिगंबर और श्वेतांबर दोनों संप्रदाय शामिल हैं। माना जाता है कि उन्होंने यहां 'मोक्ष' (मोक्ष) प्राप्त किया है।
 
गौरतलब है कि छोटी अल्पसंख्यक आबादी माने जाने के बावजूद जैन समुदाय का भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुमूल्य योगदान रहा है। भारत की कुल आबादी में लगभग 1 प्रतिशत हिस्सेदारी वाले जैन समुदाय ने व्यापार के क्षेत्र में प्रभावशाली प्रदर्शन किया और देश की वित्तीय राजधानी माने जाने वाले मुंबई शहर जिले का लगभग 5 प्रतिशत हिस्सा इन्हें समर्पित हैं।