नेत्रहीनों के लिए उम्मीद की किरण है 'ब्रेल लिपि'

    04-Jan-2023
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World Braille Day
(Image Credit: Internet)
 
नागपुर:
 
हम और आप जैसे लोग जहां पांच मिनट के लिए भी आंख बंद कर नहीं रह पाते। आंख में छोटा सा कचरा या साबुन चले जाने पर बेचैन हो जाते हैं। वहीं, नेत्रहीन लोगों को जीवन भर उस अंधकार (World Braille Day History and Significance) से गुजरना पड़ता है। और यही वजह है कि समाज का ये तपका कहीं न कहीं पिछड़ कर रह जाता है। कई लोग इन्हे सहारा देते है तो कई लोग दुर्बल समझकर इनका मजाक उड़ाते है। लेकिन ब्रेल वो उम्मीद की किरण बनी जो नेत्रहीनों की जिंदगी में रोशनी लेकर आई।
 
क्या होती है ब्रेल प्रणाली?
 
ब्रेल एक लिपि (World Braille Day History and Significance) है जिससे नेत्रहीनों को पढ़ने-लिखने में सहायता मिलती है। दुनियाभर में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। नेत्रहीन फ्रांसीसी लेखक लुइस ब्रेल ने इस लिपि का आविष्कार 1821 में किया था। इस लिपि में अलग-अलग अक्षरों, संख्याओं और विराम चिन्हों को उभरे हुए बिंदुओं से दर्शाया जाता है। जिससे नेत्रहीन या कम दृष्टि वाले लोग अपनी उंगलियों से पढ़ सकते हैं।
 
World Braille Day
 
04 जनवरी को क्यों मनाया जाता है विश्व ब्रेल दिवस?
 
दुनियाभर में हर साल 04 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन लिपि का आविष्कार करने वाले लुइस ब्रेल (World Braille Day History and Significance) का जन्मदिन होता है। 4 जनवरी 1809 को फ़्रांस में जन्में लुइस ब्रेल बचपन में पिता की दुकान में हुए एक हादसे में घायल हो गए थे। जिसका प्रभाव उनकी आंखों पर पड़ा था और उन्हें ठीक तरह से दिखाई देना बंद हो गया। उस वक्त उनकी उम्र महज 3 साल थी। हालांकि, उन्हें यह बात भी पता थी कि कुछ समय बाद उन्हें पूरी तरह से दिखना बंद हो जाएगा। लुई के पिता ने उन्हें पेरिस के राष्ट्रीय नेत्रहीन बच्चों के संस्थान में भेजा गया। उन्हें बचपन से ही संगीत में काफी रुचि थी।
 
संगीत में रुचि के चलते 10 साल की उम्र में उनकी मुलाकात चार्ल्स बार्बियर से हुई जो नपोलियन आर्मी में कैप्टन के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने विद्यार्थियों को कम्युनिकेशन कोड समझाया, जिसमें बिंदु (dot) की मदद से कम्यूनिकेट (World Braille Day History and Significance) किया जाता है। इसे नाईट राइटिंग (Night Writing) भी कहते है। संगीत और कोड कम्युनिकेशन की मदद से 15 साल की उम्र में उन्होंने 6 dot fingertip रीडिंग सिस्टम की खोज की। जिसके कुछ सालों बाद 1852 में लुइस ब्रेल की मृत्यु हो गई। लुइस की मौत के 60 सालों से भी अधिक समय के बाद 1916 में ब्रेल को अमेरिका में पहली बार अपनाया गया।
 
लोगों में ब्रेल कम्युनिकेशन को लेकर जागरूकता बढ़ने के उद्देश्य से 2019 में पहली बार ब्रेल डे मनाने की शुरुआत हुई। आपको बता दें कि ब्रेल कोड (World Braille Day History and Significance)  की मदद से 133 भाषाओं का अनुवाद किया गया है। विश्व नेत्रहीन यूनियन द्वारा साल 2009 में लुइस ब्रेल की 200 वी वर्षगांठ मनाई गई थी। ब्रेल को लिफ्ट, कैलकुलेटर, चिन्हों, एटीएम और करेंसी में भी उपयोग में लाया जाने लगा है।