सलाम-ए-नारी: 'महिलाओं की इच्छाशक्ति ही उनकी सबसे बड़ी ताकत'- आईएएस आर. विमला

09 Jun 2022 16:40:10
नागपुर:
Women's Day Special: आईएएस आर. विमला मानती है कि समाज से पहले सोच में बदलाव की जरूरत है। क्योंकि समाज में समानता का भाव और बदलाव तभी आएगा जब पुरुष का महिलाओं को देखने का नजरिया...

r vimala
 
 
समाज में महिलाओं के योगदान और उनकी उपलब्धियों का स्मरण करने के उद्देश्य से दुनियभार में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। 'सलाम-ए-नारी' के जरिए अभिजीत भारत नारी शक्ति के समर्पण, त्याग और बलिदान की इस भावना को सलाम करता है। इस अवसर पर नारी सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष उदाहरण नागपुर की जिलाधिकारी आईएएस आर. विमला ने अभिजीत भारत से खास बातचीत की। आईएएस आर. विमला ने बताया कि कैसे दृढ़ निश्चय, संघर्ष और उम्मीद से परिपूर्ण सफलता के इस सफर में उनका परिवार ढाल बनकर उनके साथ रहा।
 
 
 
आईएएस आर. विमला ने कहा, 'परिवार और अपनों के सपोर्ट के बिना आदमी भी सफलता के मुकाम तक नहीं पहुंच सकता तो महिलाएं क्यों यह सपोर्ट मांगने से कतराती हैं? महिलाओं को अपने सपने पूरे करने की दिशा में मेहनत करनी चाहिए।' उन्होंने आगे कहा, 'आज के समय में भी चाहे ग्रामीण हो या शहरी परिपेक्ष महिलाओं की स्थिति में उतना बदलाव नहीं आया है। इसका प्रमुख कारण है समाज की रूढ़िवादी सोच जिसके चलते महिलाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य (Personal Hygiene) और अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता की कमी है।'

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सोच में बदलाव ही बदल सकता है समाज का नजरिया
तमिल मूल की आईएएस आर. विमला ने हिंदी कविता संग्रह 'मन रचनाएं' के माध्यम से न सिर्फ भाषा की बेड़ियों को तोड़ा है बल्कि महिलाओं और समाज के लिए प्रेरणादाई संदेश भी दिया। हिंदी, मराठी, अंग्रेजी सहित कई भाषाओं की जानकर आईएएस आर. विमला ने अपनी कविता संग्रह के जरिए मानव जीवन के विभिन्न भावों और भावनाओं को दर्शाया है। आईएएस आर. विमला मानती है कि समाज से पहले सोच में बदलाव की जरूरत है। क्योंकि समाज में समानता का भाव और बदलाव तभी आएगा जब पुरुष का महिलाओं को देखने का नजरिया बदलेगा। आज महिलाओं आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता है।
अंत में आईएएस आर. विमला ने कंपीटीटिव एग्जाम की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों से कहा कि उन्हें कभी भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। एक लक्ष्य रखकर उसे पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए लेकिन असफलता से निराश नहीं होना है। आईएएस आर. विमला ने स्वयं तमिल मूल की होने के बावजूद अपने दृढ़ विश्वास से सिर्फ तीन महीनों में मराठी सिख कर एमपीएससी की परीक्षा पास की। आईएएस आर. विमला कहती हैं कि आज के समय में जहां कंपटीशन चरम पर है। साथ ही इंटरनेट और सोशल मीडिया के आने से बच्चे लक्ष्य से भटक सकते हैं इसलिए परिश्रम के साथ एकाग्रता भी उतनी ही जरूरी है।
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