नागपुर:
बच्चे के अच्छे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए माता-पिता कई प्रयास करते हैं। शारीरिक विकास के लिए बच्चे के खानपान का पेरेंट्स खास ख्याल रखते हैं। उनकी फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान रखते हैं। लेकिन शरीर के साथ-साथ बच्चों का मानसिक विकास भी उतना ही जरूरी है। वैसे तो हर बच्चा अपने आप में अलग होता है। जैसे कुछ बच्चे बेहद चंचल होते हैं तो कुछ बहुत शांत। बच्चों का व्यवहार उनके आसपास के वातावरण पर भी निर्भर करता है। हालांकि, कुछ सामान्य बातें बच्चों के व्यवहार में आम तौर पर देखने को मिलती हैं। लेकिन जब बच्चे का बर्ताव साधारण बच्चों से ज्यादा विपरीत हो तो ये बच्चों में व्यग्रता (Anxiety) को दर्शाता है। जैसे आपके बच्चे का ज्यादातर आपसे लिपटकर रहना। या अगर आपका बच्चा बहुत समय बाद भी किसी से घुलता-मिलता नहीं तो ये भी व्यग्रता (Anxiety) के लक्षण हो सकते हैं।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हर पांचवें बच्चे में व्यग्रता (Anxiety) के लक्षण पाए जाते हैं। ज्यादातर माता-पिता इसे सामान्य मानते है और नजरअंदाज कर देते है। इससे भविष्य में बच्चों को मानसिक तनाव से गुजरना पड़ सकता है। कई बार देखा जाता है कि बच्चे लोगों से मिलने से डरते हैं, या भीड़भाड़ में जाने पर पेट में दर्द, बार-बार यूरिन आना, सिरदर्द जैसी शिकायतें करते हैं। हालांकि, ऐसी परिस्थिति में चिंता करने की जरुरत नहीं है। कुछ स्वाभाविक तरीकों को अपनाकर बच्चों की व्यग्रता (Anxiety) को दूर किया जा सकता है।
- विशेषज्ञ बताते हैं कि अपने बच्चे में ऐसे लक्षण दिखने पर ज्यादातर माता-पिता बच्चे पर दोस्तों के साथ घुलने-मिलने का दबाव डालते हैं। ऐसे में बच्चे के अंदर का डर और भी बढ़ने लगता है। इसलिए ऐसे समय में बच्चे को प्यार से समझाना चाहिए और दूसरों से मिलने के उसके डर को प्यार से कम करने की कोशिश करनी चाहिए।
- कई बार माता-पिता का अपने काम में व्यस्त होकर बच्चे को समय न दे पाना भी बच्चे के अकेलेपन का कारण बन सकता है। आज के समय में न्यूक्लियर फॅमिली का कांसेप्ट चलन में हैं, जहां परिवार में केवल माता-पिता ही अपने बच्चे का ध्यान रखने के लिए मौजूद होते हैं और वे भी अपने काम के चलते अपना ज्यादातर समय बाहर ही रहते हैं। इस परिस्थिति में उनका बच्चा दूसरे बच्चों की तुलना में ज्यादातर देर से बोलना सीखता है। इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता अपनी दिनचर्या का कुछ समय बच्चे के साथ बिताये और उसे समझने की कोशिश करें।
- विशेषज्ञों की मानें तो बच्चे के चुप रहने का कारण उसमें आत्मविश्वास की कमी हो सकता है। उस के इस स्वभाव को बदलने के लिए माता-पिता बच्चे के हर छोटे-बड़े सफल प्रयोगों या कार्य पर उसे प्रोत्साहित करें। यदि वह किसी कार्य में असफल भी होता है तो डांटे नहीं प्रशंसा से उसके आत्मविश्वास को बढ़ावा दें।