नागपुर:
Oldest Temple In Nagpur: किसी स्थान की पहचान उसके इतिहास और वहां मौजूद इमारतों से होती है जो बीते समय की अनसुनी-अनकही कहानियों को दर्शाते हैं। नागपुर में रहने वाले ज्यादातर लोगों को आज सीताबर्डी, महल, अंबाझरी, फुटला, मॉल आदि जगहों के बारे में तो जरूर पता होगा। लेकिन नागपुर की सबसे पुरानी इमारत कौन सी है इस सवाल का जवाब शायद कुछ ही लोग जानते...
आज के इस आधुनिक युग में इतिहास के पन्ने कहीं पीछे छूट रहे हैं। ऐसे में हम अपनी धरोहर अपनी पुरातन संस्कृति से शायद अब भी पूरी तरह परिचित नहीं है। किसी स्थान की पहचान उसके इतिहास और वहां मौजूद इमारतों से होती है जो बीते समय की अनसुनी-अनकही कहानियों को दर्शाते हैं। नागपुर में रहने वाले ज्यादातर लोगों को आज सीताबर्डी, महल, अंबाझरी, फुटाला, मॉल आदि जगहों के बारे में तो जरूर पता होगा। लेकिन नागपुर की सबसे पुरानी इमारत कौन सी है इस सवाल का जवाब शायद कुछ ही लोग जानते होंगे।
इतिहास के बारे में इतिहासकार से बेहतर कौन जानता है। ऐसे ही एक साहित्यकार और 'वारसा दर्शन', विदर्भ संशोधन मंडल, नागपुर के संयोजक डॉ. शेषशयन देशमुख ने नागपुर के पुरातत्व के संबंध में अभिजीत भारत से खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि नागपुर में ऐसी कई जगहें और उनसे जुड़ा इतिहास जिससे आज की पीढ़ी अनजान है। डॉ. देशमुख बताते हैं कि नागपुर का इतिहास गोंड के आगमन से भी कई साल पुराना है। वहीं, इमारतों की बात करें तो नागपुर में 200 से भी अधिक ऐतिहासिक इमारतें हैं। हालांकि, यह सूची अब घटकर 155 पर आ गई है।
नागपुर के सबसे पुराने इलाकों में सबसे पहला जिक्र महल का किया जाता है। यहां रुक्मिणी मंदिर, नाग मंदिर, जागृतेश्वर मंदिर जैसी कई प्राचीन स्मारक मौजूद हैं। यही वजह है नागपुर के इतिहास के पन्नों में इसका एक अलग स्थान रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, माना जाता है कि अंग्रेज नागपुर आये थे तब यहां 98 मंदिर थे, इनमें से कई आज भी मौजूद हैं। जबकि कुछ ऐसे भी मंदिर जिनके निशान केवल इतिहास के पन्नों में मौजूद हैं।
नागपुर की सबसे पुरानी इमारत के बारे में पूछे जाने पर डॉ. देशमुख ने कहा कि वैसे तो नागपुर में कई सौ साल पुरानी इमारतें हैं लेकिन जगनाथ बुधवारी में मौजूद जागृतेश्वर मंदिर फिलहाल यहां की पुरानी इमारतों में से एक हैं। स्वयंभू श्री जागृतेश्वर साढ़े सात शिवलिंग मंदिर का इतिहास 450 साल पुराना है। यह नागपुर ग्राम देवता मंदिर है। उत्तर भारत में यह एकमात्र ऐसा स्थान है जहां आपको आधा शिवलिंग देखने को मिलेगा। यह मंदिर सरकारी विरासत वर्ग में है। श्री जागृतेश्वर मंदिर के परिसर में साढ़े सात शिवलिंग के आध्यात्मिक आशीर्वाद के साथ-साथ कई देवताओ का वास हैं। साढ़े सात स्वयंभू लिंग में श्री जागृतेश्वर, श्री पातालेश्वर, श्री काशी विश्वेश्वर, श्री अगणेश्वर, श्री अमृतेश्वर, श्री चण्डिकेश्वर और ढाई लिंगेश्वर (जिसमे एक शिव लिंग स्वयंभू नहीं है) शामिल हैं। इतिहासकर मानते हैं कि इस मंदिर की मरम्मत का काम गोंड राजा के समय में हुआ था। इतिहास के ऐसे ही कई पहलू हैं जिन्हें जानने और संजोकर रखने की आवश्यकता है। नहीं तो यह धरोहर एक-एक कर लुप्त हो जाएंगी।