सीमा विवाद: क्या कर्नाटक के हक में जायेंगे 11 मराठी भाषी गांव?

    06-Dec-2022
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Maharashtra Karnataka Border Dispute
 
मुंबई:
 
महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्य कर्नाटक के बीच पिछले कई सालों से सीमावर्ती जिलों को लेकर विवाद जारी है। अचानक दोनों राज्यों के बीच यह विवाद एक बार फिर गहराने लगा है। जहां महाराष्ट्र विवादित मराठी भाषी क्षेत्र में आने वाले गांवों को राज्य सीमा में वापस लाना चाहता है तो वहीं कर्नाटक भी इन्हें राज्य का हिस्सा बनाये रखने के लिए अडिग खड़ा है।
 
 
सीमा विवाद की वजह से बढ़ते तनाव और विरोध प्रदर्शन के बीच जिला प्रशासन ने मंगलवार को बेलगावी में धारा 144 लागू कर दी है। इसके चलते महाराष्ट्र के मंत्रियों की प्रस्तावित यात्रा भी रद्द करनी पड़ी। दरअसल, बेलगावी डीसी नितेश पाटिल ने विभिन्न कन्नड़ समर्थक संगठनों की अपील के साथ-साथ हिंसा भड़काने, सार्वजनिक व्यवस्था और सद्भाव को बिगाड़ने की संभावना का हवाला देते हुए पुलिस रिपोर्टों का जवाब दिया और महाराष्ट्र के मंत्रियों चंद्रकांत पाटिल-शंभुराज देसाई के जिले में प्रवेश पर रोक लगा दी।
 
 
हाल ही में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने जाट, अक्कलकोट और बेलगाम सहित अन्य क्षेत्रों पर दावा करते हुए इन्हें राज्य का अभिन्न हिस्सा बताया था। जिसके बाद कन्नड़ रक्षणा वेदिके ने मंगलवार को बेलगाम के पास विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरेबाघेवाडी टोल बूथ पर महाराष्ट्र से आए छह ट्रकों पर संगठन के सदस्यों ने पथराव किया। वहीं, कुछ कार्यकर्ताओं ने ट्रक पर झंडे लगा दिए। इस घटना के चलते कर्नाटक के युवा अधिकारिता और खेल मंत्री नारायण गौड़ा सहित अन्य कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी हुई।
 
गौरतलब है कि चंद्रकांत (दादा) पाटिल, शंभुराज देसाई, और सांसद धैर्यशील माने सहित महाराष्ट्र के मंत्रियों की एक टीम ने कुछ दिन पहले घोषणा की थी कि वे MES नेताओं के साथ बैठक करने और उन लोगों के घरों का दौरा करने के लिए मंगलवार को बेलगावी जाएंगे, जिन्हें एमईएस महाराष्ट्र के लिए शहीद मानता है। बेलागवी जिला और शहर की पुलिस ने राज्य में महाराष्ट्र हाई पावर कमेटी के सदस्यों की निर्धारित यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। लेकिन मंगलवार को विरोध प्रदर्शन का हवाला देते हुए जिले में धारा 144 लागू करने का आदेश जारी कर दिया।
 
सीमा विवाद के बीच महाराष्ट्र के 11 गांवों से उठी कर्नाटक में विलय की मांग
 
दोनों राज्यों में जारी सीमा विवाद के बीच मंगलवार को महाराष्ट्र के सोलापुर जिले की एक खबर से शिंदे सरकार को बड़ा झटका लगा है। सोलापुर जिले के अक्कलकोट तहसील के 11 गांवों ने कर्नाटक में विलय की मांग की है। ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल ने संबंधित ग्राम पंचायतों द्वारा पारित प्रस्ताव जिलाधिकारी को सौंपा। इन प्रस्तावों में सड़कों, शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं की अनुपस्थिति पर प्रकाश डाला गया। प्रस्ताव के अनुसार, ग्रामीणों ने महाराष्ट्र सरकार से उनकी मांगें पूरी करने का आग्रह किया है। इतना नहीं, ग्रामीणों ने मांगें न पूरी होने पर पड़ोसी राज्य का हिस्सा बनने के लिए मजबूर होने की बात भी कही है।
 
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य ने एक बयान में कहा, "हमें नहीं पता कि महाराष्ट्र ने सीमा पर 28 गांवों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया है। 28 गांवों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इतनी सारी समस्याएं हैं। अगर हम कर्नाटक से अपनी स्थिति की तुलना करें तो हमें लगता है कि हम 100 साल पीछे हैं। किसान के पास बाजार जाने के लिए सड़क नहीं है। कर्नाटक में मुफ्त बिजली और पानी है। अक्कलकोट को अपने हिस्से का पानी कभी नहीं मिला। इसलिए हमने पिछले लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किया। कोई सरकारी अधिकारी हमारी बात नहीं सुनता। हमें नहीं पता कि हमारा गांव महाराष्ट्र में है या नहीं।"
 
क्या है कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद की जड़?
 
मराठी भाषी क्षेत्रों मुख्य रूप से बेलगावी की स्थिति को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकारों के बीच लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। हालांकि, पिछले काफी समय से विवाद से संबंधित कोई हलचल नहीं हुई थी। लेकिन 22 नवंबर को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई द्वारा किये एक दावे से मामले ने फिर तूल पकड़ लिया। बसवराज बोम्मई ने अपने दावे में कहा कि उनकी सरकार महाराष्ट्र के सांगली जिले के जाट तालुका के कुछ गांवों द्वारा कर्नाटक में विलय के लिए पारित प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है। इस पर पलटवार करते हुए महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनके राज्य का कोई भी गांव कर्नाटक को नहीं दिया जाएगा। इस बयान पर पलटवार करते हुए कर्नाटक के सीएम ने इसे 'भड़काऊ' टिप्पणी करार दिया और महाराष्ट्र के कन्नड़ भाषी क्षेत्रों पर दावा ठोक दिया।
 
रविवार को कर्नाटक सीमा और नदी निर्माण आयोग के अध्यक्ष और पूर्व एससी न्यायाधीश शिवराज पाटिल से मिलने के बाद मीडिया से बात करते हुए, बोम्मई ने एक और चौंकाने वाली बात कही। उन्होंने कहा कि वह 29 नवंबर को दिल्ली आएंगे। अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने सीमा से संबंधित हर चीज पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से मुलाकात की। फ़िलहाल दोनों राज्यों के जारी विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।