शिवतीर्थ में ठाकरे बंधुओं की अहम मुलाक़ात
(Image Source-Internet)
मुंबई।
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से हलचल बढ़ गई है। बुधवार सुबह पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Thackeray) दादर स्थित शिवतीर्थ निवास पहुँचे, जहाँ उन्होंने मनसे प्रमुख राज ठाकरे से मुलाकात की। यह मुलाक़ात करीब ढाई घंटे तक चली। इस बैठक में उद्धव ठाकरे के साथ संजय राउत और अनिल परब मौजूद रहे, जबकि मनसे की ओर से बाला नंदगांवकर और संदीप देशपांडे शामिल थे। राजनीतिक गलियारों में इस मुलाकात को लेकर चर्चाओं का दौर तेज है। हालाँकि आधिकारिक तौर पर बैठक का एजेंडा सामने नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि इसका सीधा संबंध आगामी चुनावी रणनीति और दशहरा सभा से है।
नगर निगम चुनाव और दशहरा सभा पर चर्चा
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में सबसे अहम चर्चा मुंबई नगर निगम चुनाव को लेकर हुई। दोनों दलों के नेताओं ने इस पर विचार किया कि यदि शिवसेना (उद्धव गुट) और मनसे एक साथ आते हैं तो चुनावी समीकरण किस तरह बदल सकते हैं। इसके अलावा दशहरा समागम पर भी गहन बातचीत हुई। 2 अक्टूबर को होने वाले इस समागम में क्या राज ठाकरे मौजूद रहेंगे और क्या उसी मंच से किसी गठबंधन का ऐलान होगा, यह फिलहाल सबसे बड़ा सवाल है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि दोनों बंधु दशहरा सभा में साथ नजर आते हैं, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है।
महाविकास अघाड़ी और कांग्रेस की भूमिका
गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे महाविकास अघाड़ी का हिस्सा हैं और हाल ही में उन्होंने कांग्रेस नेताओं से भी बैठक की थी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर मनसे को शिवसेना अपने साथ जोड़ती है तो महाविकास अघाड़ी का क्या होगा? सूत्र बताते हैं कि उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे को साथ लेने के मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं से चर्चा करेंगे। लेकिन कांग्रेस कोई भी फैसला अपने केंद्रीय नेतृत्व से परामर्श के बाद ही करेगी। इस बीच चर्चा यह भी है कि मनसे केवल शिवसेना (उद्धव गुट) के साथ गठबंधन करेगी या पूरे महाविकास अघाड़ी का हिस्सा बनेगी, इस पर अंतिम निर्णय शरद पवार, उद्धव ठाकरे और कांग्रेस नेताओं की बातचीत के बाद ही होगा।
क्षेत्रीय समीकरण और ताकत का आकलन
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि किन क्षेत्रों में किस दल की पकड़ मजबूत है। उदाहरण के तौर पर दादर और माहिम जैसे इलाकों में मनसे और उद्धव गुट की बराबर ताकत मानी जाती है। ऐसे क्षेत्रों में सीट बंटवारे को लेकर रणनीति बनाई जा सकती है। सूत्रों के अनुसार, स्थानीय नेताओं और पदाधिकारियों की राय को भी महत्व दिया जाएगा। यही कारण है कि बैठक के बाद दूसरे स्तर पर चर्चा होंगी और सीट शेयरिंग या संयुक्त अभियान की दिशा तय की जाएगी।
क्या दशहरा सभा बनेगी गठबंधन का मंच?
अब सबकी नज़रें 2 अक्टूबर को होने वाली दशहरा सभा पर टिकी हैं। यह वही मंच है जहाँ शिवसेना हर साल अपनी राजनीतिक ताक़त का प्रदर्शन करती है। इस बार अगर राज ठाकरे भी इस सभा में शामिल होते हैं और उद्धव ठाकरे के साथ मंच साझा करते हैं, तो इसे औपचारिक गठबंधन का संकेत माना जाएगा। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यदि ठाकरे बंधु साथ आते हैं तो महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया समीकरण बन सकता है, जो न केवल नगर निगम चुनाव बल्कि 2024 के बड़े चुनावों पर भी असर डालेगा।