भारत-जापान आर्थिक मंच में बोले पीएम मोदी: भारत जापानी व्यवसायों के लिए ‘ग्लोबल साउथ’ का स्प्रिंगबोर्ड

    29-Aug-2025
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- टोक्यो में प्रधानमंत्री का संबोधन

PM Modi(Image Source-Internet) 
एबी न्यूज़ नेटवर्क।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को टोक्यो में आयोजित भारत-जापान (India Japan) संयुक्त आर्थिक मंच को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भारत-जापान साझेदारी को वैश्विक विकास और नवाचार का प्रमुख चालक बताया। मोदी ने कहा कि जापान की अत्याधुनिक तकनीक और भारत की प्रतिभा मिलकर इस सदी की तकनीकी क्रांति का नेतृत्व कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “आप सभी भारत में पिछले 11 वर्षों में हुए बदलाव और विकास से परिचित हैं। भारत राजनीतिक स्थिरता, पारदर्शिता और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश है। बहुत जल्द हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। भारत का वैश्विक जीडीपी में 18% योगदान है और हमारे बाजार मज़बूत रिटर्न दे रहे हैं।”
 
‘रिफॉर्म, ट्रांसफॉर्म और परफॉर्म’ का मंत्र
पीएम मोदी ने कहा कि भारत का “रिफॉर्म, ट्रांसफॉर्म और परफॉर्म” मॉडल इस प्रगति का आधार है। उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा पर विशेष जोर देते हुए कहा कि भारत ने 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा का लक्ष्य तय किया है। मोदी ने यह भी बताया कि जापान के साथ संयुक्त क्रेडिट मैकेनिज्म के तहत दोनों देश हरित पहलुओं पर सहयोग को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा, “जापान की उत्कृष्टता और भारत का पैमाना एक परफेक्ट पार्टनरशिप बना सकते हैं। साझा कार्यबल साझा समृद्धि लाएगा। हमारी साझेदारी रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से स्मार्ट पावर है।”
 
एशियाई सदी में भारत-जापान की भूमिका
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और जापान ने साझा हितों को साझा समृद्धि में बदला है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत जापानी व्यवसायों के लिए ‘ग्लोबल साउथ’ तक पहुंचने का स्प्रिंगबोर्ड है। मोदी ने भरोसा जताया कि दोनों देश मिलकर एशियाई सदी को स्थिरता, विकास और समृद्धि की ओर ले जाएंगे। उन्होंने कहा, *“हमारी साझेदारी न सिर्फ हमारे देशों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र और विश्व के लिए एक नया भविष्य गढ़ सकती है।”*
 
कांग्रेस का हमला: ‘फ्रीक्वेंटली फ्लाइंग पीएम’
वहीं, कांग्रेस पार्टी ने पीएम मोदी की इस विदेश यात्रा पर कड़ा हमला बोला। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि सरकार “मजबूरी में” चीन के साथ संबंध सामान्य करने पर उतारू है, क्योंकि भारत-अमेरिका रिश्तों में खिंचाव देखने को मिल रहा है। रमेश ने मोदी को “फ्रीक्वेंटली फ्लाइंग और उससे भी ज़्यादा फ्रीक्वेंटली लाइंग प्रधानमंत्री” करार देते हुए कहा कि भारत को चीन के साथ उसकी शर्तों पर बातचीत के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि अप्रैल 2020 से पहले की एलएसी स्थिति अब तक बहाल नहीं हो सकी है।