वाड़ी पुलिस ने तीन साल से घर में कैद दो मासूमों को किया मुक्त

    28-Aug-2025
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- घर की चारदीवारी में कैद मासूम

Wadi police(Image Source-Internet)  
नागपुर।
लावा दाभा क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। वाड़ी पुलिस (Wadi police) ने दो सगे भाइयों को उनके ही घर से आजाद कराया, जिन्हें पिछले तीन वर्षों से कमरे में बंद कर रखा गया था। 7 और 8 वर्ष की उम्र के इन बच्चों ने इतने लंबे समय तक न तो धूप देखी थी और न ही बाहरी दुनिया से कोई संपर्क किया था। परिणामस्वरूप उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा। पुलिस और आशा कार्यकर्ताओं के अनुसार बच्चे बेहद कमजोर थे, उनकी बोलचाल की क्षमता प्रभावित थी और वे सामान्य भोजन तक नहीं कर पा रहे थे।
 
मां की करतूत, पिता की चुप्पी
जांच में सामने आया कि बच्चों की मां ने उन्हें घर में कैद कर रखा था। पिता, जो ग्राम पंचायत में कर्मचारी हैं, इस स्थिति से वाकिफ थे, लेकिन पत्नी के आक्रामक व्यवहार के कारण चुप्पी साधे रहे। आशा कार्यकर्ताओं ने नियमित दौरे के दौरान घर की गतिविधियों पर संदेह जताया, क्योंकि महिला न पड़ोसियों से मिलती थी और न ही किसी को घर के पास आने देती थी। 21 अगस्त को पिता ने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर वाड़ी पुलिस से संपर्क किया। इसके बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंची। शुरू में मां ने दरवाजा खोलने से इनकार किया, लेकिन चेतावनी मिलने पर दरवाज़ा खोल दिया। अंदर का दृश्य देख पुलिस हैरान रह गई—बच्चे गंदे कपड़ों में, कमजोर हालत में और बोलने-समझने में असमर्थ थे।

इलाज और पुनर्वास की दिशा में कदम
दोनों बच्चों और उनकी मां को तुरंत सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से मेयो अस्पताल ले जाया गया। चिकित्सकीय जांच के बाद मां को मानसिक स्वास्थ्य उपचार हेतु धंतोली के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि दोनों बच्चों को सरकारी बालगृह भेज दिया गया। यह पूरी कार्रवाई वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक राजेश तटकरे के मार्गदर्शन में, महिला पीएसआई निकिता कोठे और वाड़ी पुलिस टीम द्वारा की गई। यह मामला न केवल बच्चों की सुरक्षा के प्रति सतर्कता की आवश्यकता को उजागर करता है, बल्कि समाज में छिपे मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक समस्याओं पर भी गंभीर सवाल उठाता है। तीन साल से कैद इन मासूमों की मुक्ति ने पुलिस, आशा कार्यकर्ताओं और समाज की सजगता की अहमियत को एक बार फिर सामने रखा है।