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मुंबई।
मराठा (Maratha) आरक्षण आंदोलन को लेकर एक बड़ी दुखद घटना सामने आई है। मंगलवार (27 अगस्त) की सुबह जुन्नर के पास एक आंदोलनकारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई। मृतक का नाम सतीश देशमुख बताया जा रहा है। यह घटना उस समय घटी जब मराठा समाज के लोग आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई की ओर कूच कर रहे थे। इस घटना से पूरे समाज में शोक की लहर फैल गई है। खास बात यह है कि यह हादसा उस समय हुआ है जब आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल मुंबई में आमरण अनशन शुरू करने जा रहे हैं।
मनोज जरांगे पाटिल की प्रतिक्रिया
सतीश देशमुख की मौत पर आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जरांगे पाटिल ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, “मुझे अभी जानकारी मिली है कि हमारे भाई देशमुख का सफर के दौरान हार्ट अटैक से निधन हो गया। यह बहुत ही दुखद घटना है। इसकी जिम्मेदारी देवेंद्र फडणवीस साहब की है। अगर हमें समय रहते आरक्षण दिया जाता तो हमारे समाज के लोग यूं दम न तोड़ते।”
जरांगे पाटिल ने आगे कहा कि पहले भी लातूर में ऐसी ही घटना हुई थी और अब जुन्नर में भी वही हुआ है। उन्होंने साफ कहा कि अगर सरकार तुरंत ठोस निर्णय ले तो समाज को और हताहत नहीं होना पड़ेगा।
आज़ाद मैदान में सिर्फ 8 घंटे का आंदोलन की अनुमति
मराठा आंदोलन को लेकर प्रशासन ने मनोज जरांगे पाटिल को मुंबई के आज़ाद मैदान में सिर्फ 8 घंटे आंदोलन करने की अनुमति दी है। पाटिल ने पुलिस को आश्वासन देकर इस शर्त को स्वीकार तो कर लिया, लेकिन शिवनेरी पहुंचने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके तेवर अलग ही दिखाई दिए। उन्होंने संकेत दिए कि आंदोलन की रणनीति अलग हो सकती है। अब देखना यह होगा कि मराठा समाज और उनके नेता प्रशासन द्वारा तय किए गए समय का पालन करते हैं या फिर कोई नया रुख अपनाते हैं। साथ ही पाटिल ने यह भी मांग की कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आंदोलन की शर्तें और प्रतिबंध हटाएं।
“मराठा समाज के बच्चों को न्याय मिलना चाहिए”
मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि इस आंदोलन की प्रेरणा रायगढ़ और शिवनेरी किले से आती है। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अपील करते हुए कहा कि मराठा समाज के बच्चों के भविष्य को लेकर जो पीड़ा है, उसे समझा जाए और उन्हें न्याय दिलाया जाए। जरांगे पाटिल ने प्रशासन द्वारा दी गई एक दिन की अनुमति को ‘मजाक’ करार देते हुए कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर मराठा समाज की आवाज दबाना चाहती है, लेकिन अब समाज पीछे हटने वाला नहीं है।