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एबी न्यूज़ नेटवर्क।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, गणेशोत्सव के पर्व का आगमन बस कुछ ही दिनों में है। लेकिन गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले यानी भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका (Hartalika) व्रत रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष हरतालिका 26 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। कहा जाता है कि यह व्रत महिलाओं द्वारा अपने पतियों की दीर्घायु के लिए रखा जाता है। इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शंकर के लिए ही व्रत किया था और तभी से यह परंपरा चल रही है।
हरतालिका व्रत के नियम
हरतालिका व्रत का मुख्य नियम यह है कि यह व्रत निर्जल यानी बिना पानी के रखा जाता है। इस दिन व्रती न तो भोजन करते हैं, न दूध, न फल और न पानी। स्वास्थ्य संबंधी कारणों से यदि कोई महिला यह व्रत नहीं रख सकती, तो उसे व्रत नहीं रखना चाहिए। जो महिलाएं पहली बार यह व्रत रख रही हैं और निर्जल व्रत कठिन लगे, वे तृतीया तिथि की सूर्यास्त के बाद या आधी रात के बाद पानी पी सकती हैं। इस दिन सोना भी वर्जित माना जाता है। व्रत तृतीया तिथि के सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन चतुर्थी की सूर्योदय तक रखा जाता है।
पूजा विधि और तैयारियां
हरतालिका व्रत के दौरान पूजा में मिट्टी की प्रतिमाओं के माध्यम से माता पार्वती, भगवान शंकर और गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं सभी शुभ वस्तुएं माता पार्वती को अर्पित करती हैं। व्रती महिलाएं अपने परिवार के पुरुष सदस्य द्वारा लाए गए वस्त्रों में से जो भी शुभ वस्त्र हो, उसे पहनकर व्रत के लिए सजती हैं। इसके अलावा इस दिन भगवान शिव का ध्यान और उनका नाम जपना भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हरतालिका व्रत महिलाओं के लिए धार्मिक आस्था और परंपरा का प्रतीक है और इसे भक्ति भाव से मनाना शुभ माना जाता है।