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एबी न्यूज़ नेटवर्क।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आवारा कुत्तों को लेकर शुक्रवार को महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। अदालत ने कहा कि गली-मोहल्लों में घूम रहे आवारा कुत्तों को वैक्सीनेशन के बाद शेल्टर होम से वापस उनके इलाके में छोड़ा जाएगा। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि जो डॉग लवर्स और एनजीओ इस मामले में दखल के लिए अदालत में आए हैं, उन्हें सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में शुल्क जमा करना होगा। कोर्ट ने डॉग लवर्स को 25 हजार रुपये और एनजीओ को दो लाख रुपये सात दिन के भीतर जमा करने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि वे निर्धारित समय सीमा में राशि जमा नहीं करते हैं, तो भविष्य में उन्हें इस मामले से संबंधित किसी भी सुनवाई के दौरान पेश होने की अनुमति नहीं मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम आवारा कुत्तों के प्रबंधन और इंसानों की सुरक्षा, दोनों को ध्यान में रखते हुए संतुलन बनाने की कोशिश माना जा रहा है।
पुराने आदेश में किया गया बदलाव
दरअसल, 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य बेंच ने आदेश दिया था कि आवारा कुत्तों को वैक्सीनेशन के बाद भी शेल्टर होम से वापस न छोड़ा जाए। यह आदेश रेबीज और कुत्तों के काटने से हुई मौतों के मामलों को देखते हुए दिया गया था। इस फैसले का डॉग लवर्स और कई एनजीओ ने विरोध किया था। इसके बाद यह मामला मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई के सामने लाया गया। 14 अगस्त को तीन जजों की बेंच ने सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा और अब 22 अगस्त को जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने नया आदेश सुनाया। उन्होंने कहा कि कुत्ते जो आक्रामक व्यवहार करते हैं या रेबीज से ग्रस्त पाए जाएंगे, उन्हें किसी भी हालत में बाहर नहीं छोड़ा जाएगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अब कुत्तों को कहीं भी खाना खिलाने की अनुमति नहीं होगी। इसके लिए विशेष स्थान बनाए जाएंगे और सिर्फ वहीं भोजन कराया जा सकेगा।