- मुख्य अतिथि सरसंघचालक मोहन भागवत और विशिष्ट अतिथि सीएम फडणवीस
- संस्कृत बने जीवन की भाषा : मोहन भागवत
- संस्कृत से राष्ट्र निर्माण की नींव
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वर्धा।
कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, वारंगा (Waranga) में शुक्रवार, 1 अगस्त को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक भवन का लोकार्पण समारोह अत्यंत गरिमा और गौरव के साथ संपन्न हुआ। इस समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूज्य सरसंघचालक मोहन भागवत और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। समारोह में संस्कृत को जीवन की भाषा बनाने का आह्वान किया गया और इसे भारतीय अस्मिता और आत्मनिर्भरता से जोड़ा गया। उद्घाटन समारोह के साथ-साथ बालक व बालिका छात्रावास का भूमिपूजन एवं अंतर्राष्ट्रीय गुरुकुल का शुभारंभ भी हुआ।
संस्कृत समझेगा, तो देश समझेगा
पूज्य मोहनजी भागवत ने अपने उद्बोधन में कहा कि “संस्कृत को सिर्फ अध्ययन की भाषा नहीं, बल्कि बोलचाल और व्यवहार की भाषा बनाना होगा। भाषा जब भाव से जुड़ती है, तभी उसका प्रभाव जीवन में उतरता है। संस्कृत के जरिए हम सत्त्व, तेज और लक्ष्मी जैसे सांस्कृतिक मूल्यों को प्राप्त कर सकते हैं।" उन्होंने कालिदास विश्वविद्यालय को संस्कृत को राजाश्रय के साथ-साथ लोकाश्रय दिलाने की दिशा में अग्रसर होने का सुझाव भी दिया। “संस्कृत को समझेंगे तो देश को भी समझ सकेंगे,” यह कहते हुए उन्होंने संस्कृत को आत्मनिर्भर भारत की नींव बताया।
विश्वस्तरीय केंद्र बनेगा अभिनव भारती परिसर
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने समारोह में घोषणा की कि अभिनव भारती अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक परिसर को संस्कृत अध्ययन का वैश्विक केंद्र बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने इस उद्देश्य के लिए विश्वविद्यालय को 50 एकड़ भूमि प्रदान की है। इस परिसर को 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं से सुसज्जित किया जाएगा। उन्होंने केंद्र सरकार से भी इस परियोजना के लिए आर्थिक सहायता सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने कहा, “संस्कृत ज्ञान की भाषा है और यह नई पीढ़ी को मूल्य आधारित शिक्षा देकर उन्हें सशक्त बनाएगी।”
शिक्षा, शोध और संस्कृति का संगम
कुलगुरु प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने अपने प्रास्ताविक में कहा कि यह भवन पूर्व कुलपतियों और शिक्षकों के कठिन परिश्रम का परिणाम है। उन्होंने अभिनव भारती परिसर के विकास के लिए राज्य सरकार से पीएम उषा योजना के तहत 120 करोड़ और अन्य शोध व गुरुकुल सुविधाओं के लिए 300 करोड़ की निधि का अनुरोध किया। समारोह में चंद्रकांत पाटिल, आशीष जायसवाल, प्रो. उमा वैद्य, डॉ. पंकज चांदे, प्रो. कृष्णकुमार पांडेय सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रो. पराग जोशी ने किया और निदेशक प्रो. पांडेय ने आभार व्यक्त किया। समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।