वन्यजीवन संरक्षण को समर्पित ‘वाइल्ड ताडोबा’ का भव्य शुभारंभ

    30-Jul-2025
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Wild Tadoba
 (Image Source-Internet)
मुंबई।
मुंबई स्थित मंत्रालय में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ‘वाइल्ड ताडोबा’ (Wild Tadoba) डॉक्युमेंट्री का ट्रेलर जारी किया। यह डॉक्युमेंट्री विख्यात फिल्म निर्माता, निर्देशक व छायाचित्रकार सुब्बैया नल्लामुथु द्वारा बनाई गई है, जो वन्य जीवन की गहराइयों को कैमरे के माध्यम से वैश्विक स्तर पर लाने का कार्य कर रहे हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह फिल्म न केवल ताडोबा के नैसर्गिक सौंदर्य को विश्वभर में पहचान दिलाएगी, बल्कि महाराष्ट्र के वन्य जीवन संरक्षण की उपलब्धियों को भी सामने लाएगी।
 
सुब्बैया नल्लामुथु को पहला ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’
कार्यक्रम में एशियाटिक बिग कैट सोसायटी और महाराष्ट्र वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सुब्बैया नल्लामुथु को वन्य जीवन संरक्षण क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए पहला ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ प्रदान किया गया। मुख्यमंत्री फडणवीस के हाथों उन्हें 1 लाख रुपये नकद, स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र, शॉल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, जलसंपदा मंत्री गिरीश महाजन, अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) मिलिंद म्हैसकर, वनबल प्रमुख शोमिता बिस्वास, प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्य जीवन) श्रीनिवास राव और एशियाटिक बिग कैट सोसायटी के संयोजक डॉ. अजय पाटिल उपस्थित रहे।
 
‘इकोलॉजी’ के साथ ‘इकोनॉमी’ की भी रचना
मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस अवसर पर कहा कि पिछले दस से पंद्रह वर्षों में महाराष्ट्र वन विभाग ने उल्लेखनीय कार्य करते हुए ‘इकोलॉजी’ के साथ ‘इकोनॉमी’ को भी जोड़ा है। आज बड़ी संख्या में पर्यटक और शोधकर्ता राज्य के वन क्षेत्रों में आ रहे हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की समस्या के समाधान हेतु राज्य सरकार नई नीति बना रही है, जिससे ग्रामीण समाज को संरक्षण कार्यों से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। सुब्बैया नल्लामुथु ने सम्मान के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पुरस्कार उनके मिशन को और ऊर्जा देगा।
 
एशियाटिक बिग कैट सोसायटी का परिचय और उद्देश्य
कार्यक्रम में डॉ. अजय पाटिल ने सोसायटी की स्थापना के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह संस्था फील्ड रिसर्च, जनजागरूकता और स्थानीय सहभागिता पर कार्य कर रही है। वन क्षेत्र की कमी, मानव-वन्यजीव संघर्ष, उपेक्षित वृक्ष प्रजातियां और घासभूमि जैसे मुद्दों पर यह सोसायटी सतत कार्यरत है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कोमल ठाकरे ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन शुभंकर पाटिल ने किया।