-80 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस
-जीवनी लेखन की रही अग्रणी हस्ताक्षर
-साहित्य साधना का अंत एक नई सुबह से पहले
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नागपुर :
मराठी साहित्य की प्रतिष्ठित लेखिका और वरिष्ठ उपन्यासकार शुभांगी भडभडे (Shubhangi Bhadbhade) का आज सुबह नागपुर में निधन हो गया। वे 80 वर्ष की थीं और अंतिम दिन तक साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रहीं। उनकी आखिरी सार्वजनिक उपस्थिति ‘मी आर्यपुत्र’ पुस्तक के विमोचन समारोह में रही, जहां उन्होंने गर्मजोशी से लोगों से मुलाकात की थी। उनके अचानक निधन से साहित्य जगत स्तब्ध है।
जीवनी लेखन में विशेष पहचान, 80 से अधिक कृतियां
शुभांगी ताई ने अपने साहित्यिक जीवन में 80 से अधिक उपन्यास, दो कहानी संग्रह, और अनेक निबंध व चिंतनपरक लेख लिखे। वे विशेष रूप से जीवनीपरक उपन्यासों के लिए जानी जाती थीं। स्वातंत्र्यवीर वी. डी. सावरकर, संघ संस्थापक डॉ. के. बी. हेडगेवार, गुरुजी गोलवलकर, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लिखी उनकी रचनाएं काफी चर्चित रहीं। उनकी लेखनी ने इन ऐतिहासिक हस्तियों के जीवन में नए आयाम जोड़े और पाठकों को एक अलग दृष्टिकोण प्रदान किया।
मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री ने दी श्रद्धांजलि
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उनकी मृत्यु पर गहरा शोक जताते हुए उन्हें 'एक सशक्त साहित्यकार और लेखन समुदाय की मार्गदर्शक' बताया। उन्होंने कहा, 'उनकी कृति 'मृत्युंजयाचा महायज्ञ' सावरकर जी पर आधारित एक मील का पत्थर है। मैंने स्वयं उसे ऑडियोबुक के रूप में प्रकाशित करने का आग्रह किया था, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकारा।' केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि 'वह विदर्भ की साहित्यिक आत्मा थीं। उनकी संस्थान पद्मगंधा प्रतिष्ठान ने महिला लेखिकाओं को मंच देने में अहम भूमिका निभाई।'
‘पद्मगंधा’ से जोड़ी नई पीढ़ी, लेखिकाओं को दी पहचान
भडभडे ने पद्मगंधा प्रतिष्ठान के माध्यम से लेखिका नाट्य महोत्सव, साहित्यिक संवाद, और अनेक रचनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन कर विदर्भ में एक सशक्त साहित्यिक संस्कृति की नींव रखी। उन्होंने विशेष रूप से महिला लेखकों को मंच प्रदान किया और युवा पीढ़ी को प्रेरणा दी। उनके जाने से साहित्य जगत ने न केवल एक लेखिका, बल्कि एक संवेदनशील मार्गदर्शक और सांस्कृतिक शिल्पकार को खो दिया है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिजनों को ये दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे।