- विधान परिषद में हंसी-मजाक का माहौल
- राजनीतिक गलियारों में गहराई से हो रही चर्चा
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मुंबई:
शिवसेना (उद्धव गुट) के विधायक और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे के विदाई समारोह के अवसर पर विधान परिषद में मुख्यमंत्री समेत कई नेताओं ने भाषण दिए। इस दौरान ठाकरे और शिंदे गुटों के बीच हल्की-फुल्की नोकझोंक भी देखने को मिली। इसी बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को सदन में सीधा ऑफर दे डाला, जिसे सुनकर सदन में हंसी का माहौल बन गया। हालांकि ठाकरे गुट ने इसे हंसी-मजाक का हिस्सा बताया, लेकिन सियासी गलियारों में इस बयान को गंभीरता से लिया जा रहा है।
उद्धव और फडणवीस की एंटी-चेंबर में गुप्त बातचीत
इस घटनाक्रम के बाद आज उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से एंटी-चेंबर में मुलाकात की, जो लगभग 20 मिनट तक चली। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष के पद, त्रिभाषी फार्मूला और "हिंदी शक्ति क्यों चाहिए?" नामक पुस्तक पर चर्चा हुई। उद्धव ठाकरे ने यह पुस्तक फडणवीस को सौंपी और मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि इसे नवनियुक्त समिति अध्यक्ष नरेंद्र जाधव को भी दिया जाए। चर्चा के दौरान ठाकरे गुट के कुछ विधायक भी उपस्थित थे।
विपक्ष के नेता पद पर चर्चा, ठाकरे ने जताई नाराजगी
उल्लेखनीय है कि विधायक अंबादास दानवे का कार्यकाल अगस्त में समाप्त हो रहा है और मानसून सत्र के बाद विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली हो जाएगा। इस परिस्थिति को देखते हुए उद्धव ठाकरे पहले ही मुख्यमंत्री से मिलकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद मांगा है। हालांकि यह निर्णय विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है, लेकिन अब यह मुद्दा राजनीतिक बहस का विषय बन चुका है।
संजय राउत ने फडणवीस के बयान को बताया 'गंभीरता न लेने योग्य'
फडणवीस द्वारा उद्धव ठाकरे को सदन में दी गई टिप्पणी "आपके पास यहां आने की संभावना है, हमारे पास 2029 तक नहीं" ने राजनीतिक माहौल गर्मा दिया है। हालांकि, शिवसेना सांसद संजय राउत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "फडणवीस ऐसे व्यंग्य और टिप्पणियों में माहिर हैं, लेकिन इन्हें गंभीरता से लेने की कोई आवश्यकता नहीं है।" बावजूद इसके, राजनीतिक हलकों में इस मुलाकात और बयान को आगामी समीकरणों के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।