- साधारण परिवार से एशिया की ‘हर्डल क्वीन’ तक
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एबी न्यूज़ नेटवर्क।
दक्षिण कोरिया के गुमी में आयोजित एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2025 में भारत की स्टार हर्डलर ज्योति यार्राजी (Jyoti Yarraji) ने ऐसा इतिहास रचा, जिसने भारतीय एथलेटिक्स को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया। लगातार बारिश से भीगा हुआ ट्रैक, लगभग खाली पड़ चुका स्टेडियम और माहौल में पसरी खामोशी—इन सबके बीच ज्योति ने 100 मीटर हर्डल्स में 12.96 सेकंड का शानदार समय निकालते हुए न केवल अपना स्वर्ण पदक बरकरार रखा, बल्कि नया चैम्पियनशिप रिकॉर्ड भी बनाया। जब तिरंगा ध्वज फहराया गया और राष्ट्रगान बजा, तब बिना तालियों के शोर और बिना कैमरों की भीड़ के ज्योति की आँखों से छलकते आँसू उनके संघर्ष और समर्पण की अमिट कहानी कह रहे थे।
विजय के पीछे छुपा जज़्बा
विशाखापट्टनम में जन्मी ज्योति का जीवन संघर्षों से भरा रहा। पिता सुरक्षा गार्ड और मां घरेलू सहायक ऐसे साधारण परिवेश में पली-बढ़ीं इस बेटी ने कभी सपने देखना नहीं छोड़ा। 2015 में जिला स्तर पर पहला स्वर्ण जीतने के बाद 2017 में उन्होंने लॉन्ग जंप छोड़ हर्डल्स को अपना लिया और यही उनका टर्निंग पॉइंट बना। पेरिस ओलंपिक की निराशा ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि और मजबूत बनाया। कोच जेम्स हिलियर के मार्गदर्शन में उन्होंने अपनी तकनीक सुधारी और आज एशिया की सबसे तेज़ महिला हर्डलर के रूप में पहचानी जाती हैं।
बारिश, खाली स्टेडियम और वायरल हुई ख़ामोशी
गुमी के इस फाइनल में जापान की यूमी तनाका और चीन की वू यान्नी ने कड़ा मुकाबला दिया, लेकिन आठवें हर्डल के बाद ज्योति की रफ्तार और लय निर्णायक साबित हुई। लगातार बारिश के बावजूद उनका संतुलन और आत्मविश्वास ग़ज़ब का रहा। मगर इस जीत से ज्यादा चर्चा उनके उस वीडियो की हुई, जिसमें वे पदक ग्रहण के दौरान आँसू भरी आँखों से तिरंगे को निहारती दिखीं। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस बात पर अफसोस जताया कि जिस एथलीट के लिए स्टेडियम खचाखच भरा होना चाहिए था, उसकी ऐतिहासिक जीत के समय स्टैंड खाली पड़े थे—मानो पूरी दुनिया के शोर से परे, केवल उनकी मेहनत और भारत का तिरंगा ही उनके साथ खड़ा हो।