आठ साल बाद चुनाव, दावेदारों की बढ़ी धड़कन!

    20-Dec-2025
Total Views |
 
NMC elections
 Image Source:(Internet)
नागपुर |
आठ वर्षों के लंबे अंतराल के बाद होने जा रहे नागपुर महानगरपालिका (NMC) चुनावों ने राजनीतिक सरगर्मी तेज कर दी है। सभी प्रमुख दलों में टिकट पाने की होड़ मची हुई है। बड़ी संख्या में इच्छुक उम्मीदवार राष्ट्रीय दलों के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने को आतुर हैं, क्योंकि मनपा को वे आगे की राजनीति के लिए मजबूत सीढ़ी मान रहे हैं। हालांकि, अनुभवी कार्यकर्ताओं का मानना है कि नगर निगम की राजनीति केवल चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें निरंतर जनता से जुड़ाव, वार्ड स्तर पर सक्रियता और समस्याओं के समाधान की क्षमता बेहद जरूरी है। जनता से कटे रहने वाले नगरसेवकों का राजनीतिक भविष्य अधिक समय तक टिक नहीं पाता यह सच्चाई सभी दलों के सामने है।
 
बीजेपी में लक्ष्य बड़ा, अंदरूनी खींचतान तेज
भारतीय जनता पार्टी इस बार 108 से बढ़ाकर लगभग 120 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसी कड़ी में पार्टी के विधायक अपने-अपने समर्थकों को टिकट दिलाने की कोशिशों में जुटे हैं। इससे संगठन के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं में असंतोष उभर रहा है। नगर प्रशासन का अनुभव रखने वाले कई नेता खुद को हाशिए पर जाता देख चिंतित हैं। पार्टी के भीतर यह आशंका भी जताई जा रही है कि यदि अनुभवहीन उम्मीदवार चुने गए, तो वे वार्ड स्तर पर अपेक्षित काम नहीं कर पाएंगे, जिसका सीधा असर पार्टी की छवि पर पड़ सकता है।
 
कांग्रेस की रणनीति और जमीनी कार्यकर्ताओं की चेतावनी
कांग्रेस पार्टी इस बार ‘जीतने योग्य’ उम्मीदवारों पर दांव लगाने की रणनीति अपना रही है। पार्टी उन नेताओं पर विचार कर रही है जो पिछला चुनाव मामूली अंतर से हारे थे, साथ ही प्रभावशाली निर्दलीय उम्मीदवारों से भी संपर्क साधा जा रहा है। उधर, बीजेपी और कांग्रेस—दोनों ही दल गठबंधन और सीट-बंटवारे को लेकर असमंजस में हैं। नामांकन की तारीख नजदीक आने के बावजूद बातचीत अधूरी है, जिससे बिखरे मुकाबले की संभावना बढ़ गई है। इस बीच, जमीनी कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि टिकट बिल्डर या ऐसे व्यवसायियों को न दिया जाए जिनका जनता से सीधा सरोकार नहीं रहा। उनका कहना है कि संकट के समय जनता के साथ खड़े रहने वाले और सालभर उपलब्ध रहने वाले नेताओं को ही प्राथमिकता मिलनी चाहिए।