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नागपुर।
महाराष्ट्र में अब भीख मांगने पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। विधानसभा के बाद यह बिल शुक्रवार को विधान परिषद (Legislative Council) में भी मंज़ूर हो गया। हालांकि, इस दौरान सदन में भारी हंगामा देखने को मिला और कई सदस्यों ने अपनी असहमति दर्ज कराई। राज्यमंत्री अदिती तटकरे द्वारा बिल पेश किए जाने के बाद शिवसेना की विधायक मनीषा कायंदे, एनसीपी के अमोल मिटकरी और सभापति नीलम गोर्हे ने बिल से जुड़े विवरणों और शब्दावली को लेकर नाराजगी जताई। ईश्वरनाथ खडसे ने भी ‘महरोगी’ शब्द हटाने और शीर्षक में सामंजस्य न होने की बात उठाई। आपत्तियों के बावजूद बिल पारित किया गया। इस मुद्दे पर आगे की प्रक्रिया तय करने के लिए शनिवार को सभापति कक्ष में बैठक आयोजित की गई है।
पब्लिक ट्रस्ट सिस्टम बिल भी पारित, सीएम ने दिया जवाब
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट सिस्टम बिल पर गर्मागर्म चर्चा हुई। राज्य मंत्री आशिष जायसवाल को विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के सवालों का सामना करना पड़ा। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्वयं सदन में जवाब दिया। दो दिनों की विस्तृत बहस के बाद यह बिल विधानसभा से पारित हो गया। सरकार का दावा है कि पब्लिक ट्रस्ट की व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए यह कानून महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।
जल्द आएगी डीजीपी समिति की रिपोर्ट
महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा 2020-21 में पारित किया गया ‘शक्ति बिल’ केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है। इसकी जानकारी स्वयं मुख्यमंत्री फडणवीस ने सदन में दी। उन्होंने बताया कि केंद्र ने बिल के कई प्रावधानों पर आपत्ति जताई है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस महानिदेशकों की समिति की रिपोर्ट जल्द प्रस्तुत की जाएगी, जिसमें धार्मिक परिवर्तन-विरोधी और लव जिहाद कानूनों की रूपरेखा पर सुझाव होंगे। रिपोर्ट मिलने के बाद राज्य सरकार आगे की दिशा तय करेगी।