Winter Session : तंबाकू और पान मसाला उद्योग पर कसा शिकंजा! सरकार पेश करेगी दो अहम विधेयक

    01-Dec-2025
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Winter Session
 Image Source:(Internet)
एबी न्यूज़ नेटवर्क।
केंद्र सरकार तंबाकू (Tobacco), गुटखा और पान मसाला उद्योग पर अब तक की सबसे कड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। वर्षों से बढ़ती खपत, स्वास्थ्य संबंधी जोखिम और टैक्स चोरी को लेकर उठ रही चिंताओं के बीच सरकार ‘नेशनल सिक्योरिटी एंड पब्लिक हेल्थ सेस’ नामक एक नया कर लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसका उद्देश्य न केवल इस क्षेत्र में पारदर्शिता लाना है, बल्कि देश की स्वास्थ्य एवं सुरक्षा परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त राजस्व जुटाना भी है। इस प्रस्तावित कानून को ‘हेल्थ सिक्योरिटी एंड नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल, 2025’ नाम दिया गया है, जिसे शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बिल को लोकसभा में पेश करेंगी।
 
उद्योग के लिए नए नियम, कड़ा कर ढांचा
इस नए सेस का सबसे बड़ा प्रभाव उत्पादन प्रक्रिया पर पड़ेगा। अब टैक्स अंतिम उत्पाद की मात्रा पर नहीं बल्कि उत्पादन मशीनों और क्षमता के आधार पर लगाया जाएगा। इसमें मशीन से उत्पादन करने वालों के साथ-साथ वे निर्माता भी शामिल होंगे जो मैनुअल तरीके से उत्पादन करते हैं। ऐसे निर्माताओं को भी हर महीने एक निश्चित शुल्क देना होगा। सरकार की ओर से लागू किए जाने वाले इस सिस्टम में, यदि कोई मशीन या उत्पादन लाइन 15 दिनों से अधिक समय के लिए बंद रहती है, तो उस अवधि के लिए कर में छूट दी जा सकती है।
 
मुख्य बिंदु :
- यह सेस सभी निर्माताओं के लिए अनिवार्य होगा।
- उत्पादन बिना पंजीकरण के अवैध माना जाएगा।
- कंपनियों को हर महीने रिटर्न दाखिल करना होगा।
- नियमों का उल्लंघन होने पर पांच साल तक की जेल हो सकती है।
- सरकार आवश्यकता पड़ने पर सेस की राशि दोगुनी भी कर सकती है।
 
सरकारी निगरानी मजबूत, अपराध पर रोक
सरकार का मानना है कि यह बिल तंबाकू और पान मसाला उद्योग पर नियंत्रण बढ़ाने और बड़े पैमाने पर हो रही टैक्स चोरी को रोकने का सबसे बड़ा कदम साबित होगा। इस नए प्रावधान के साथ सरकारी अधिकारियों को निरीक्षण, ऑडिट और अनुपालन सुनिश्चित करने के अधिकार मिलेंगे। वहीं, कंपनियों को अपीलीय प्राधिकरण से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अपील का अधिकार भी दिया जाएगा। यह बिल देश में बढ़ते तंबाकू उत्पादों के दुष्प्रभावों और उससे जुड़ी बीमारियों को नियंत्रित करने की दिशा में एक सख्त और ऐतिहासिक नीति हस्तक्षेप के रूप में देखा जा रहा है। सरकार को उम्मीद है कि यह कदम सार्वजनिक स्वास्थ्य को मजबूत करने और सैन्य एवं राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाएगा।