अब हर स्मार्टफोन में होगा 'ये' ऐप! साइबर सुरक्षा पर सरकार का बड़ा फैसला

    01-Dec-2025
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Govt Sanchar Saathi app
 Image Source:(Internet)
एबी न्यूज़ नेटवर्क।
भारत सरकार ने एक बड़ा और विवादित टेक्नोलॉजी निर्णय लिया है अब भारत में लॉन्च होने वाले हर नए स्मार्टफोन (Smartphone) में 'Sanchar Saathi' नाम का सरकारी साइबर सुरक्षा ऐप पहले से इंस्टॉल होगा, और खास बात यह है कि इसे फोन से हटाया भी नहीं जा सकेगा। यह आदेश टेलीकॉम मंत्रालय ने 28 नवंबर को गुप्त रूप से सभी स्मार्टफोन कंपनियों को भेजा है। भारत दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल बाजारों में से एक है, जहां 1.2 अरब से अधिक मोबाइल उपभोक्ता हैं। सरकार का दावा है कि इस ऐप की मदद से अब तक 7 लाख से ज्यादा खोए फोन वापस मिल चुके हैं, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है।
 
90 दिनों में आदेश लागू
आदेश के अनुसार, Apple, Samsung, Xiaomi, Vivo और Oppo जैसी सभी मोबाइल कंपनियों को अगले 90 दिनों में यह सिस्टम लागू करना होगा। जो फोन पहले से सप्लाई चेन में हैं, उनमें यह ऐप सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए जोड़ा जाएगा, और यूज़र्स इसे न तो हटाने में सक्षम होंगे और न ही डिसेबल कर सकेंगे। हालांकि, इंडस्ट्री सूत्रों का कहना है कि यह आदेश बिना किसी परामर्श के जारी किया गया, जिससे कंपनियों में चिंता और नाराज़गी बढ़ गई है। विशेष रूप से Apple के लिए यह बड़ा विवाद बन सकता है, क्योंकि Apple की नीति किसी भी सरकारी या थर्ड-पार्टी ऐप को प्री-इंस्टॉल करने की अनुमति नहीं देती। यह पहली बार नहीं है जब Apple और भारतीय नियामकों में टकराव हुआ हो—कुछ वर्ष पहले भी सरकार के एंटी-स्पैम ऐप को लेकर विवाद सामने आया था।
 
Sanchar Saathi क्या कर सकता है?
सरकार के मुताबिक यह ऐप बढ़ते साइबर अपराध, फर्जी कनेक्शनों और चोरी हुए मोबाइल फोनों को ट्रैक करने के लिए बेहद जरूरी है। ऐप IMEI नंबर की पहचान करता है, जो हर फोन का यूनिक 14–17 अंकों का डिजिटल पहचान नंबर होता है। इसके माध्यम से चोरी या डुप्लीकेट IMEI वाले फोन नेटवर्क पर ब्लॉक किए जा सकते हैं। ऐप के जरिए यूजर संदिग्ध कॉल रिपोर्ट कर सकते हैं, खोए या चोरी हुए फोन ब्लॉक कर सकते हैं और फर्जी सिम कार्ड या कनेक्शन की जानकारी भी दे सकते हैं।
 
सुरक्षा में मदद, लेकिन बढ़े सवाल
सरकार का कहना है कि Sanchar Saathi की मदद से 3.7 मिलियन चोरी या खोए फोन ब्लॉक किए जा चुके हैं और 3 करोड़ से अधिक फर्जी मोबाइल कनेक्शन बंद किए गए हैं। लेकिन इस फैसले ने एक नई बहस छेड़ दी है क्या सुरक्षा के नाम पर सरकार अब नागरिकों की डिजिटल स्वतंत्रता और उनकी प्राइवेसी पर नियंत्रण बढ़ा रही है? आने वाले समय में यह फैसला उपभोक्ता अधिकारों और टेक कंपनियों की नीतियों पर कितना असर डालेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।