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पुणे :
पुणे (Pune) के मूंडवा क्षेत्र में कथित जमीन खरीद मामले ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस विवादित जमीन सौदे (Parth Pawar Land Scam Pune) में अब तक आठ लोगों पर मामला दर्ज किया गया है, जिनमें डिप्टी सीएम अजित पवार के भतीजे पार्थ पवार के चाचा और बिजनेस पार्टनर दिग्विजय अमरसिंह पाटिल भी शामिल हैं। हालांकि हैरानी की बात यह है कि जिस Amedia कंपनी में पार्थ का 99% हिस्सा है, उस कंपनी के प्रमुख पार्थ पवार के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है। वहीं, जिन तीन लोगों के पास मात्र 1% हिस्सेदारी है, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह कार्रवाई अजित पवार को राजनीतिक रूप से असहज करने की किसी अंदरूनी रणनीति का हिस्सा है?
भाजपा की सियासी चाल या सहयोगी पर दबाव?
पिछले कुछ महीनों से यह चर्चा तेज़ है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने सहयोगी अजित पवार को घेरने की रणनीति पर काम कर रही है, खासकर पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ के आगामी निकाय चुनावों से पहले। दरअसल, अतीत में एनसीपी ने कांग्रेस से सत्ता छीनकर कई शहरी निकायों पर कब्ज़ा किया था जिसमें पुणे, पिंपरी-चिंचवड और जिला परिषद शामिल हैं। मगर भाजपा के साथ गठबंधन के बाद पवार की ताकत धीरे-धीरे सीमित होती नज़र आ रही है। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने अजित पवार के करीबी कई नेताओं जैसे राजन पाटिल, बाबनदादा शिंदे और नामदेव शिरगांवकर को अपने खेमे में खींचा है। महाराष्ट्र ओलंपिक संघ के अध्यक्ष पद से भी पवार को किनारे कर भाजपा के मुरलीधर मोहोळ को आगे लाया गया।
विवादित जमीन का इतिहास: वन भूमि से आईटी पार्क तक
यह मामला पुणे के मुंडवा स्थित महाड़ एस्टेट की लगभग 48 एकड़ भूमि से जुड़ा है, जहां ब्रिटिश काल से एक बॉटनिकल गार्डन (वनस्पति उद्यान) मौजूद है। 1957 में यह जमीन सरकार ने Botanical Survey of India को पट्टे पर दी थी। 2006 में जमीन के मूल मालिकों ने शीटल तेजवानी को पावर ऑफ अटॉर्नी दी, जिन्होंने बाद में यह अधिकार पार्थ पवार की Amedia कंपनी को ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद कंपनी ने यहां आईटी पार्क बनाने की योजना पेश की, जिसे प्रशासन से तेजी से मंजूरी भी मिल गई। दिलचस्प बात यह है कि उस समय पुणे के संरक्षक मंत्री स्वयं अजित पवार थे, जिससे यह मामला और संवेदनशील बन गया है।
राजनीतिक ‘गेम प्लान’ या भ्रष्टाचार की जांच?
मुख्यमंत्री ने मामले की जांच के आदेश देते हुए रजिस्ट्रेशन और स्टांप विभाग के एक अधिकारी को निलंबित किया है। इसके साथ ही पूरे सौदे की जांच शुरू हो चुकी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा इस विवाद के जरिए अजित पवार को राजनीतिक रूप से कमजोर करने की कोशिश कर रही है। आने वाले *पुणे नगर निगम, पिंपरी-चिंचवड़ और जिला परिषद चुनावों* में भाजपा का लक्ष्य स्पष्ट है विपक्ष की ताकत को कम करना। वहीं, विपक्ष का दावा है कि यह “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” है। सवाल यही है कि क्या यह सिर्फ जमीन घोटाले की जांच है या फिर “अजित का खेल खेलने वाले” अब सत्ता की नई चाल चल रहे हैं?