दीक्षाभूमि भूमि भराव पर खर्च 3.67 करोड़ रूपये की स्वीकृति मांगी एनएमआरडीए ने

    07-Nov-2025
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Deekshabhoomi
 Image Source:(Internet)
नागपुर :
नागपुर महानगरीय क्षेत्र विकास प्राधिकरण (NMRDA) ने दीक्षाभूमि (Deekshabhoomi) परिसर में की गई भूमि पुनर्भराई और समतलीकरण कार्य पर खर्च किए गए 3.67 करोड़ रूपये की पश्च-स्वीकृति (Post-Facto Approval) राज्य सरकार से मांगी है। यह कार्य उस समय किया गया था जब भूमिगत पार्किंग परियोजना को भारी विरोध के बाद रद्द कर दिया गया था। अधिकारियों के अनुसार, यह प्रस्ताव व्यय को नियमित करने और ऑडिट आपत्तियों से बचने के लिए तैयार किया गया है, क्योंकि यह काम प्रशासनिक स्वीकृति से पहले ही पूरा कर लिया गया था।
 
विवादित भूमिगत पार्किंग योजना पर हुआ था विरोध
दीक्षाभूमि में प्रस्तावित भूमिगत पार्किंग प्रोजेक्ट पर पहले ही 21 करोड़ रूपये का खर्च हो चुका था। लेकिन 1 जुलाई 2024 को बौद्ध अनुयायियों और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिति के तीव्र विरोध के बाद इसे रोक दिया गया। विरोध करने वालों का कहना था कि यह निर्माण उस पवित्र स्थल की मर्यादा का उल्लंघन है, जहां 1956 में डॉ. आंबेडकर ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था। सार्वजनिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन उपमुख्यमंत्री (वर्तमान मुख्यमंत्री) देवेंद्र फडणवीस ने परियोजना को रोकने का आदेश दिया और समिति से चर्चा के बाद ही आगे की कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
 
धम्मचक्र प्रवर्तन दिन से पहले पूरी हुई भूमि पुनर्भराई
एनएमआरडीए की 6 जुलाई 2024 को हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि भक्तों की सुरक्षा के लिए खुदाई की गई भूमि को भरकर समतल किया जाए। वीएनआईटी नागपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग की देखरेख में यह काम 3.67 करोड़ रूपये (जीएसटी अतिरिक्त) की लागत से पूरा किया गया। यह कार्य 12 अक्टूबर 2024 को आयोजित धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस से पहले संपन्न हुआ। एनएमआरडीए का कहना है कि यह खर्च “आस्था और सुरक्षा” के सम्मान में किया गया था। अब पश्च-स्वीकृति मिलने से वित्तीय पारदर्शिता और ऑडिट अनुपालन सुनिश्चित होगा — जैसा कि अधिकारियों ने कहा, “यह परियोजना विकास की खुदाई से आस्था की भराई तक का सफर बन गई।”