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नई दिल्ली।
भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी (Mohammed Shami) और पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। यह मामला शमी की अलग रह रही पत्नी हसीन जहां द्वारा दाखिल की गई याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने अपने और बेटी के लिए मासिक भरण-पोषण राशि बढ़ाने की मांग की है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने पहले हसीन जहां को 1.5 लाख रुपए और उनकी बेटी को 2.5 लाख रूपये प्रतिमाह देने का आदेश दिया था। अब हसीन का कहना है कि यह राशि शमी की आय और रहन-सहन की तुलना में बेहद कम है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा, “क्या 4 लाख रूपये प्रति माह काफी नहीं है?” हालांकि, अदालत ने शमी और राज्य सरकार से चार हफ्तों में जवाब मांगा है।
“पति की आमदनी करोड़ों में, बेटी को भी मिलना चाहिए समान जीवनस्तर”
हसीन जहां के वकील ने दलील दी कि शमी की आय कोर्ट में प्रस्तुत आंकड़ों से कहीं अधिक है। उन्होंने कहा, “वे करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं, लग्जरी कारें रखते हैं, विदेश यात्राएं करते हैं और आलीशान जीवन जीते हैं। ऐसे में 4 लाख रूपये उनकी आमदनी के मुकाबले बहुत कम है।” याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि शमी ने कई महीनों तक अदालत के आदेश के बावजूद भुगतान नहीं किया। हसीन ने कहा कि वह अपने पति की कमाई पर व्यक्तिगत अधिकार नहीं जतातीं, लेकिन उनकी बेटी को अपने पिता के समान जीवन स्तर का अधिकार है। उन्होंने कहा, “बेटी को भी वैसे ही स्कूलों में पढ़ने और वैसा माहौल पाने का हक है जैसा उसके पिता के समकक्ष बच्चों को मिलता है।"
2018 से जारी विवाद, अब दिसंबर में होगी अगली सुनवाई
हसीन जहां और मोहम्मद शमी के बीच कानूनी विवाद 2018 से जारी है, जब हसीन ने घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और आर्थिक अनियमितताओं के आरोप लगाए थे। तब से यह विवाद अदालतों और मीडिया दोनों में सुर्खियों में रहा है। वहीं, शमी ने हमेशा अपनी निजी जिंदगी पर टिप्पणी करने से परहेज़ किया है। उन्होंने एक पुराने साक्षात्कार में कहा था, “बीता हुआ वक्त वापस नहीं आता, मैं अब सिर्फ अपने खेल पर ध्यान देना चाहता हूं।” सुप्रीम कोर्ट ने अब दोनों पक्षों शमी और पश्चिम बंगाल सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई दिसंबर में होगी, जो इस लंबे विवाद के अगले चरण को तय कर सकती है।