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कोलंबो/नई दिल्ली:
भारत ने अपने पड़ोसी देश श्रीलंका (Sri Lanka) में चक्रवात ‘दितवा’ से उत्पन्न मानवीय संकट के बीच बड़े स्तर पर राहत सहायता भेजते हुए ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ की शुरुआत की है। इसी क्रम में भारतीय वायुसेना का IL-76 विमान शुक्रवार को कोलंबो पहुंचा, जिसमें राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के 80 प्रशिक्षित सदस्य, जिनमें चार महिलाएं और चार स्निफर डॉग भी शामिल हैं, राहत सामग्री और बचाव उपकरणों के साथ पहुंचे। श्रीलंका वायुसेना ने इस सहायता की पुष्टि करते हुए X पर लिखा—“भारतीय वायुसेना का IL-76 विमान राहत सामग्री, उपकरणों और 80 NDRF कर्मियों के साथ श्रीलंका पहुंचा है, जो जारी राहत कार्यों में सहयोग करेंगे।”
उन्नत उपकरणों और विशेषज्ञ टीम की तैनाती
भारत से रवाना हुई टीम गुरुवार देर रात हिंडन एयर बेस से उड़ान भरकर श्रीलंका पहुंची। टीम का नेतृत्व 8वीं बटालियन के कमांडेंट पी.के. तिवारी कर रहे हैं। राहत दल अपने साथ हाई-टेक HADR (Humanitarian Assistance and Disaster Relief) उपकरण लेकर पहुंचा है, जिनमें इंफ्लेटेबल बोट्स, हाइड्रोलिक कटिंग और ब्रीचिंग टूल्स, संचार प्रणाली, प्राथमिक चिकित्सा किट और जीवनरक्षक सामग्री शामिल है। NDRF की यह तैनाती श्रीलंका के बाढ़ और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों की खोज, बचाव तथा राहत वितरण में अहम भूमिका निभाएगी।
देश में भी उच्च स्तरीय निगरानी और तैनाती
श्रीलंका को समर्थन के साथ-साथ NDRF भारत में भी उच्च स्तरीय तत्परता बनाए हुए है। फिलहाल 14 NDRF टीमें तमिलनाडु के तटीय जिलों—विलुप्पुरम, चेंगलपट्टू, तिरुवल्लूर, नागपट्टिनम, तिरुवरूर, तंजावुर, पुदुक्कोट्टई और मयिलाडुथुरई—में तैनात हैं। इसके अलावा पुडुचेरी में अलग से दल तैनात किया गया है। स्थिति को देखते हुए पुणे स्थित 5वीं बटालियन और वडोदरा की 6वीं बटालियन से भी 10 अतिरिक्त टीमें चेन्नई भेजी जा रही हैं। मुख्यालय स्तर पर NDRF, IMD, NDMA, विदेश मंत्रालय और राज्य प्रशासन के साथ 24x7 समन्वय बना हुआ है।
भारी तबाही के बीच भारत की मानवीय सहायता
श्रीलंका में चक्रवात ‘दितवा’ के बाद पश्चिमी प्रांत में जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। केलानी और अट्टनागालू नदियों के उफान से हालात गंभीर हो गए हैं और प्रशासन ने “अभूतपूर्व आपदा स्थिति” की चेतावनी जारी की है। राहत कार्यों को मजबूती देने के लिए भारत ने शुक्रवार को INS विक्रांत और INS उदयगिरि के जरिए पहली खेप की सामग्री भी सौंप दी है। बड़े पैमाने पर विस्थापन, बुनियादी ढांचे का नुकसान और भूस्खलनों के बीच भारत की यह मानवीय मदद पड़ोसी देशों के साथ उसकी साझेदारी और आपदा राहत नीति को और मजबूत बनाती है।