- आरक्षण सीमा पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
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नागपुर।
लंबे समय से टल रहे नागपुर नगर निगम (NMC) के चुनाव एक बार फिर गहरे संशय में फंस गए हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों में OBC आरक्षण को लेकर कड़ा और स्पष्ट आदेश जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि राज्य किसी भी परिस्थिति में कुल आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं दे सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक दबाव, जनसंख्या तर्क या ताजा आंकड़े इस संवैधानिक सीमा को पार करने का आधार नहीं बन सकते। मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा, “हम जो भी करें, समाज को जाति की रेखाओं में बाँटना समाधान नहीं है।”
नागपुर पर सबसे बड़ा असर
इस आदेश का सबसे गहरा असर नागपुर नगर निगम पर पड़ा है। वर्तमान आरक्षण मसौदे में कुल 151 सीटों में से 82 सीटें SC, ST और OBC के लिए निर्धारित थीं, जो सीमा से काफी अधिक है। राज्य सरकार ने इसके लिए बांठिया आयोग के आंकड़ों का हवाला दिया था, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और पहले दिए गए निर्देश 'प्रि-बंठिया डेटा' की ही पुष्टि की। अब NMC को OBC की 7 सीटें हटानी होगी, जिससे उनकी संख्या घटकर 33 (21.85%) रह जाएगी। इसके बाद सभी 40 OBC आरक्षित वार्डों पर पुनः सार्वजनिक लॉटरी होगी, जिससे सीटों की श्रेणी बदल जाएगी OBC हटने पर वही सीटें अब General (Women) या General (Open) में परिवर्तित होंगी। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, इससे 20 से 30 वार्डों का स्वरूप पूरी तरह बदल सकता है।
जनवरी 2026 की सुनवाई और रुकी लोकतांत्रिक प्रक्रिया
इसी बीच OBC आरक्षण के व्यापक सवाल को सुप्रीम कोर्ट ने तीन-न्यायाधीशों की बड़ी पीठ को सौंप दिया है, जिसकी सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी। नगर परिषद और नगर पंचायती चुनाव आगे बढ़ सकते हैं, लेकिन जहां आरक्षण सीमा अधिक है, वहां परिणाम स्थगित रहेंगे। नागपुर के लिए अब पूरा आरक्षण मानचित्र फिर से बनाया जाएगा और इसी के साथ नगर निगम चुनावों की प्रक्रिया एक बार फिर शून्य से शुरू होती दिख रही है।