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एबी न्यूज़ नेटवर्क।
हिंदी सिनेमा जगत के दिग्गज और सर्वप्रिय अभिनेता धर्मेंद्र का 89 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया। अपने 90वें जन्मदिन से कुछ दिन पहले ही उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा। ‘ही-मैन ऑफ बॉलीवुड’ के नाम से पहचाने जाने वाले धर्मेंद्र का छह दशक लंबा करियर 300 से अधिक फिल्मों से सजा हुआ है। हाल ही में उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था और बताया जा रहा था कि वह धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहे है। लेकिन रविवार दोपहर अचानक उनके घर से निकली एम्बुलेंस और थोड़ी ही देर बाद जुहू स्थित पवन हंस श्मशान में सितारों की मौजूदगी ने दुखद खबर की पुष्टि कर दी। हालांकि आधिकारिक बयान अभी परिवार की ओर से नहीं आया है, लेकिन फिल्ममेकर करण जौहर ने सोशल मीडिया के माध्यम से उनके निधन की पुष्टि की।
करण जौहर दी भावुक श्रद्धांजलि
धर्मेंद्र के निधन ने न सिर्फ सिनेमा जगत बल्कि लाखों-करोड़ों दर्शकों को हिला दिया। करण जौहर ने इंस्टाग्राम पर एक बेहद भावनात्मक संदेश साझा करते हुए लिखा, “यह एक युग का अंत है… उनकी करिश्माई मौजूदगी और असीमित प्यार ने फिल्म इंडस्ट्री और दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी है। वह सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक प्रेरणा थे… उनकी गर्मजोशी, उनका आशीर्वाद और उनकी मुस्कान अब सिर्फ यादों में रह जाएगी।” करण जौहर ने आगे लिखा, “आज फिल्म इंडस्ट्री में एक ऐसा खालीपन पैदा हुआ है जिसे कभी भरा नहीं जा सकेगा। हम आपको मिस करेंगे धरमजी… ओम शांति।” हाल ही में धर्मेंद्र करण जौहर की फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में नजर आए थे, जहां उनकी अदाकारी ने पुरानी यादों को फिर ताजा कर दिया।
आखिरी फिल्म और अपूर्ण सफर
धर्मेंद्र की आखिरी फिल्म अब एक मरणोपरांत रिलीज होगी। श्रीराम राघवन निर्देशित ‘इक्कीस’ में वह अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा और अभिनेता जयदीप अहलावत के साथ नजर आएंगे। यह फिल्म 25 दिसंबर 2025 को बड़े पर्दे पर रिलीज होगी। इससे पहले वह 2024 में आई फिल्म ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ में भी नजर आए थे। उनके जाने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि पर्दे पर उनका जादू कभी पुराना नहीं हुआ—उनकी मुस्कान, उनकी आवाज और उनका स्क्रीन प्रेजेंस दर्शकों को हमेशा मोहित करता रहा।
रोमांस से एक्शन तक का सफर
1960 में ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से शुरुआत करने वाले धर्मेंद्र ने जल्द ही दर्शकों के दिलों में जगह बना ली। ‘फूल और पत्थर’, ‘आए दिन बहार के’ जैसी फिल्मों में रोमांटिक हीरो के रूप में धड़कनें बढ़ाने वाले धर्मेंद्र 70 और 80 के दशक में एक्शन सुपरस्टार बनकर उभरे। ‘धर्मवीर’, ‘हुकूमत’ और ‘शोले’ जैसी फिल्मों में उनकी बहुमुखी प्रतिभा देखने को मिली। 1975 में रिलीज हुई फिल्म 'शोले’ में वीरू के किरदार ने उन्हें अमर बना दिया। उनका डायलॉग “बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना” आज भी लाखों मुस्कानों की वजह है।
सदाबहार करिश्मा और अपूरणीय रिक्तता
सिनेमा प्रेमियों के लिए धर्मेंद्र सिर्फ एक अभिनेता नहीं, भावनाओं की धरोहर थे। उनकी आकर्षक पर्सनैलिटी, सादगी और हास्य ने उन्हें हर उम्र के दर्शकों का पसंदीदा बनाया। ‘यमला पगला दीवाना’ जैसी फिल्में उनके कॉमिक टाइमिंग का बेहतरीन नमूना हैं। 2012 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया जो उनके योगदान की औपचारिक मान्यता है, लेकिन असली सम्मान तो वह प्यार है जो उन्हें दर्शकों ने दिया।
परिवार, संबंध और अंतिम नमस्कार
धर्मेंद्र का निजी जीवन भी उतना ही चर्चित रहा। उन्होंने पहले प्रकाश कौर से शादी की, जिनसे उन्हें चार बच्चे सनी देओल, बॉबी देओल, विजेता और अजीता हुए। बाद में उन्होंने अभिनेत्री हेमा मालिनी से विवाह किया, जिनसे उनकी दो बेटियां ईशा देओल और अहाना देओल हैं। अपने बच्चों और पौत्र-पौत्रियों के साथ उनका रिश्ता हमेशा भावुकता और अपनत्व से भरा रहा। धर्मेंद्र अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका सिनेमा, उनका अंदाज, उनका हंसमुख स्वभाव और उनकी विरासत हमेशा भारतीय सिनेमा का हिस्सा रहेगी। वह सिर्फ एक नाम नहीं एक भावना, एक युग और एक याद थे।
ओम शांति, धरमजी।