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नागपुर :
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की पहल के बाद श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने नागपुर रेल मंडल के स्टेशन मास्टरों के शोषण और श्रम कानून उल्लंघन की गंभीर शिकायतों की जांच के आदेश दिए हैं। मंत्रालय ने उपमुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय क्षेत्र) को निर्देश दिया है कि वे इस मामले की विस्तृत जांच कर 21 नवम्बर तक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह कार्रवाई सेवानिवृत्त स्टेशन मास्टर वीरेंद्र कुमार पालीवाल की शिकायत पर हुई, जिसमें उन्होंने भारतीय रेल पर मानवाधिकार और श्रम कानूनों के व्यवस्थित उल्लंघन का आरोप लगाया था। एनएचआरसी ने 27 अक्टूबर को इस शिकायत को संज्ञान में लेते हुए इसे *मानवाधिकार और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन* बताया था।
स्टेशन मास्टरों से बिना भुगतान अतिरिक्त ड्यूटी का आरोप
पालीवाल ने अपनी शिकायत में कहा कि स्टेशन मास्टरों से लगातार रात्रि ड्यूटी, बिना विश्राम के शिफ्ट परिवर्तन और बिना भुगतान अतिरिक्त समय तक काम करवाया जाता है। उन्होंने कहा कि यह न केवल Hours of Employment and Period of Rest Rules (HOER) का उल्लंघन है, बल्कि इससे कर्मचारियों के स्वास्थ्य और रेल सुरक्षा पर भी गहरा असर पड़ता है। पालीवाल के अनुसार, यह समस्या सिर्फ नागपुर मंडल तक सीमित नहीं है बल्कि देशभर के कई रेल जोनों में व्याप्त है। उन्होंने एनएचआरसी से आग्रह किया है कि स्टेशन मास्टरों की कार्य परिस्थितियों की *राष्ट्रव्यापी समीक्षा* की जाए।
एनएचआरसी ने बताया मानव गरिमा का उल्लंघन
एनएचआरसी ने अपने नोटिस में कहा है कि स्टेशन मास्टरों की कार्य स्थितियां *मानव गरिमा और संवैधानिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन* हैं। आयोग ने यह भी कहा कि अत्यधिक कार्यभार और विश्राम की कमी न केवल मानवाधिकारों का प्रश्न है, बल्कि रेल सुरक्षा से भी जुड़ा गंभीर विषय है। अब सबकी निगाहें इस जांच रिपोर्ट पर हैं, जिससे यह तय होगा कि क्या वर्षों से चली आ रही इन समस्याओं का समाधान कर भारतीय रेल में *संस्थागत सुधार* की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।