भगवान बिरसा कला मंच और लक्ष्मणराव मानकर स्मृति संस्था के क्षेत्रीय स्पर्धा का पुरस्कार वितरण संपन्न
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नागपुर/गडचिरोली।
“जनजातीय समाज का इतिहास गौरवशाली रहा है, और यह गौरव तभी तक जीवित रहेगा जब उनकी कला और संस्कृति को संरक्षित किया जाएगा,” यह प्रतिपादन राज्य के जनजातीय विकास मंत्री डॉ. अशोक उईके (Dr Ashok Uike) ने किया। वे भगवान बिरसा कला मंच एवं स्वर्गीय लक्ष्मणराव मंकार स्मृति संस्था द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित भगवान बिरसा कला संगम - पूर्व विदर्भ क्षेत्रीय स्पर्धा के पुरस्कार वितरण समारोह में बोल रहे थे। यह समारोह गडचिरोली के संस्कृति भवन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में डॉ. मिलिंद नारोटे, पूर्व सांसद अशोक नेते, पूर्व विधायक डॉ. नामदेव उसेंडी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघचालक जयंत खरवडे, लक्ष्मणराव मंकार ट्रस्ट के सचिव प्रशांत बोपर्डीकर और बाबूराव कोहले विशेष रूप से उपस्थित थे।
कला-संस्कृति ही जनजातीय अस्मिता की पहचान
डॉ. उईके ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजातीय गौरव वर्ष मनाने का निर्णय लिया। इसी के अंतर्गत जनजातीय कला और संस्कृति को सहेजने के उद्देश्य से *कला संगम* की पहल शुरू की गई है। इस मंच के माध्यम से समाज को जनजातीय जीवन की समृद्ध कलात्मक परंपराओं से परिचित होने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि आज भी कई जनजातीय कलाकारों को उचित पहचान नहीं मिल पाती। राज्य सरकार के जनजातीय विकास विभाग ने इन कलाकारों की कला को प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया है। डॉ. उईके ने जनजातीय समाज में विद्यमान गायन, वादन, चित्रकला, हस्तशिल्प और अन्य कलाओं पर शोध कार्य की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि इस समाज में “छः देव, सात देव” जैसे अनूठे सांस्कृतिक प्रतीक हैं, जो उनके आध्यात्मिक जीवन का केंद्र हैं। ऐसी परंपराओं और आस्थाओं को सहेजना हम सभी की जिम्मेदारी है।
उत्साह से भरा जनजातीय प्रतिभाओं का मंचन
भगवान बिरसा कला संगम की इस पहल को जनजातीय कलाकारों से अपार प्रतिसाद मिला। डॉ. उईके ने बताया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रयासों से आज आदिवासी क्षेत्रों के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने के अवसर मिल रहे हैं और वे सोशल मीडिया के माध्यम से भी अपनी पहचान बना रहे हैं। दो दिवसीय प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल के रूप में मारोतराव इचोड़कर, संजय धात्रक, संजय घोटेकर, लक्ष्मण शेडमाके, दुर्गा मडावी और महेश मडावी ने कार्य किया। कार्यक्रम का संचालन भारत भुजाडे ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन राकेश उईके ने किया। समारोह के दौरान विजेताओं को अतिथियों ने स्मृति चिन्ह और नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया।