Image Source:(Internet)
एबी न्यूज़ नेटवर्क।
उत्तराखंड (Uttarakhand) में शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद अब उत्तराखंड मदरसा बोर्ड को समाप्त करने का रास्ता साफ हो गया है। नए विधेयक के लागू होने के बाद मदरसों में धार्मिक शिक्षा देने के लिए प्राधिकरण से मान्यता लेना अनिवार्य होगा। यह कदम राज्य में लागू नए अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान कानून के तहत उठाया गया है। अब तक उत्तराखंड मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसों को शैक्षणिक सत्र 2025-26 तक पुराने नियमों के तहत शिक्षा देने की अनुमति होगी।
2026 से नए नियम होंगे लागू
नए प्रावधानों के अनुसार, शैक्षणिक सत्र 2026-27 से मदरसों को धार्मिक शिक्षा देने के लिए नए गठित प्राधिकरण से मान्यता लेना जरूरी होगा। यह मान्यता तीन सत्रों तक वैध रहेगी, जिसके बाद इसका नवीनीकरण कराना अनिवार्य होगा। मान्यता के लिए संस्थान की भूमि समिति के नाम पर होना आवश्यक है और सभी वित्तीय लेनदेन किसी मान्यता प्राप्त बैंक खाते के माध्यम से ही किए जाने होंगे। सरकार का मानना है कि इससे मदरसों में पारदर्शिता बढ़ेगी और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। नया कानून लागू होने के बाद 1 जुलाई 2026 से उत्तराखंड मदरसा बोर्ड आधिकारिक रूप से समाप्त हो जाएगा।
राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज
इस फैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि नया प्राधिकरण अल्पसंख्यक समुदायों की शिक्षा व्यवस्था को और सशक्त करेगा। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि मदरसा बोर्ड को खत्म करने से मदरसा शिक्षा के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पर नकारात्मक असर पड़ेगा।