'अन्य देशों की तुलना में भारत की कोविड के खिलाफ रणनीति दुनिया के किसी भी अन्य देशों की तुलना में अधिक प्रभावी थी' : डॉ जितेंद्र सिंह

    12-Apr-2023
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Jitendra Singh - Abhijeet Bharat 
नई दिल्ली : केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान, पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बुधवार को यहां कहा कि भारत की कोविड सफलता की कहानी को संकट प्रबंधन में एक रोल मॉडल के रूप में दुनिया भर में सराहा जाता है।
 
 
यहां जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 'महामारी पर आपदा प्रतिरोधी कार्यप्रणाली' पर राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत का कोविड प्रबंधन बेहद सफल रहा। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान, जब दुनिया ने सोचा कि भारत सबसे बड़ा कोविड हॉटस्पॉट होगा, हम और मजबूत होकर उभरे और 2 साल के भीतर, 2 टीकों के साथ सामने आए और दुनिया भर के 50 से अधिक देशों को टिके प्रदान किया। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, 'अन्य देशों की तुलना में भारत की कोविड के खिलाफ रणनीति दुनिया के किसी भी अन्य देशों की तुलना में अधिक प्रभावी थी। इस महामारी के कारण हमें अपने सिस्टम की खामियों के साथ उसकी ताकत का भी पता चला। महामारी की शुरुआत से ही, पीएम मोदी दिन में दो बार व्यक्तिगत रूप से कोविड प्रबंधन की निगरानी करते थे।'
 
मंत्री ने कहा, 'भारत में गहरी और मजबूत अंतर्निहित क्षमता है। कोविड से पहले देश प्रिवेंटिव हेल्थ केयर के लिए नहीं जाना जाता था। लेकिन विपरीत परिस्थितियों को सद्गुण में बदलते हुए भारत प्रिवेंटिव हेल्थ केयर का रोल मॉडल बनकर उभरा। यह पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत द्वारा दुनिया को दी गई सफलता की सबसे अच्छी कहानियों में से एक है।' उन्होंने कहा कि इसने वैश्विक मंच पर हमारा सम्मान बढ़ाया है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हर चुनौती के साथ देश मजबूत होकर उभरा है और ऐसा इसलिए है क्योंकि मई २०१४ से ही हमारे पीएम देश को विभिन्न आपदाओं के लिए तैयार कर रहे हैं। २०१५ के नेपाल भूकंप या सार्क उपग्रह को लॉन्च करने के दौरान भारत द्वारा प्रदान की गई सहायता का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि हम न केवल अपने समुदाय बल्कि हमारे पड़ोसी समुदायों की भी सेवा कर रहे हैं, जो कि हमारे भारतीय लोकाचार में निहित है।
 
मंत्री ने आगे कहा, 'उस विनाशकारी और अराजक स्थिति में पहले लॉकडाउन के दौरान, गैर सरकारी संगठन, सरकार और कॉरपोरेट्स इस स्थिति से निपटने के लिए एक साथ आए। स्पार्क, पुणे और आरएसएस जनकल्याण पुणे इस समय के दौरान किए गए कार्यों पर केस स्टडी के रूप में प्रकाश डालते हैं जिन्हें आज प्रकाशित किया जाना है। हालांकि किताबों में पश्चिमी महाराष्ट्र के केस स्टडीज शामिल हैं, मेरा मानना है कि यह पूरे भारत में जीवीपी मॉडल में किए गए काम का एक छोटा प्रतिनिधित्व है। इस पुस्तक में केस स्टडी से जो व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है, वह सभी आपदा प्रबंधन केंद्रों/संस्थानों और विश्वविद्यालयों में संदर्भ के रूप में काम करना चाहिए। मंत्री ने उल्लेख किया कि कोविड ने न केवल हमें प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटना सिखाया है बल्कि युवाओं में जैव प्रौद्योगिकी में अज्ञात रुचि पैदा की है। २०१४ से पहले केवल ५० बायोटेक स्टार्टअप थे, लेकिन अब लगभग ६,००० हैं। साथ ही पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले ८ वर्षों में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था २०१४ में १० बिलियन डॉलर से बढ़कर २०२२ में ८० बिलियन डॉलर से अधिक हो गई है।
 
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि आज के युवा भारत @२०४७ को परिभाषित करेंगे जब भारत अपनी स्वतंत्रता शताब्दी मनाएगा क्योंकि उनके पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित 'नए भारत' के निर्माण में योगदान करने का विशेषाधिकार और अवसर है।