नागपुर :
बॉम्बे हाई कोर्ट (High Court) की नागपुर बेंच ने एक मामले में कहा कि अगर जैविक पिता मां से बच्चे की कस्टडी लेता है तो इसे अपहरण नहीं माना जा सकता। माता-पिता शब्द में वह व्यक्ति शामिल है जो एक नाबालिग बच्चे की देखभाल करता और उसका संरक्षक है। अदालत ने कहा, इसलिए, अगर पिता मां से बच्चे की कस्टडी लेता है, तो उसके खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।
अमरावती में विवाद के चलते पति-पत्नी अलग हो गए। पिता ने बच्चे को अपने पास रख लिया। इस पर मां ने अमरावती पुलिस में बच्चे के अपहरण की शिकायत दर्ज कराई। इस मामले में अमरावती पुलिस ने पिता के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इसे रद्द करने के लिए पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। पितृत्व अधिनियम के अनुसार, पिता बच्चे का पहला प्राकृतिक संरक्षक होता है। याचिका में दावा किया गया था कि बच्चे की संरक्षकता में पिता के बाद मां का स्थान है। एक बच्चे का मा से पिता की ओर जाना एक संरक्षक से दूसरे के पास जाने जैसा है। इसलिए कोर्ट ने कहा, पिता के खिलाफ मामला दर्ज करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।