नागपुर : दूध के दाम के मुद्दे पर प्रदेश में माहौल गरमाता नजर आ रहा है. क्योंकि दूध के दाम में बड़ी गिरावट की तस्वीर देखने को मिल रही है. इसके चलते विभिन्न किसान संगठनों के साथ किसान भी आक्रामक हो गए हैं। किसान सभा ने भी आक्रामक रुख अपनाते हुए सरकार को चेतावनी दी है.
राज्य के 21 जिलों में सरकारी आदेश की होली
इसी बीच सरकार की मिल्क टैरिफ कमेटी ने दूध के लिए 34 रुपये की दर से भुगतान करने का सरकारी आदेश जारी कर दिया था. हालाँकि, सरकार के इस आदेश का राज्य में दुग्ध संघों और दूध कंपनियों ने कड़ा रुख़ अपनाया है।सरकार के आदेश से दूध की कीमत 34 रुपये से घटकर 27 रुपये पर आ गई है. इसके विरोध में आज सुबह प्रदेश के 21 जिलों में दूध संग्रहण केंद्रों पर विरोध प्रदर्शन किया गया. यह आंदोलन दुग्ध उत्पादक किसान संघ और किसान सभा की ओर से किया गया है.
दूध की कीमत 34 रुपये से 27 रुपये
फिलहाल राज्य में दूध की कीमत में भारी गिरावट आई है. दूध के दाम 34 रुपये से घटकर 27 रुपये पर आ गये हैं. इससे किसानों को बड़ी आर्थिक मार पड़ रही है. इसीलिए किसान जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. साथ ही सरकार के आदेश का वे पूरे राज्य में होली जला रहे हैं.
दूध उत्पादक किसान संकट में
राज्य में दूध के उतार-चढ़ाव से उत्पन्न अस्थिरता को दूर करने के लिए दुग्ध विकास विभाग ने दूध का क्रय मूल्य तय करने के लिए एक समिति नियुक्त की थी। निजी और सहकारी दुग्ध संघों की दुग्ध कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों की एक समिति हर तीन महीने में दूध की खरीद कीमत तय करती है. डेयरी विकास मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने घोषणा की थी कि दूध संघों और कंपनियों को नियम के अनुसार दरों का भुगतान करना चाहिए। इसके मुताबिक दूध की कीमत 34 रुपये घोषित की गई. हालांकि उस समय दूध कंपनियों ने इस रेट में रिवर्स रेट तय कर दाम कम कर दिए थे.यानी ३४ के दाम को २७ रुपए कर दिया गया है. जिससे किसान हताश हो गये.
इन कारणों से दाम में गिरावट
दरअसल, सूखे के कारण दूध का उत्पादन कम हो गया है. ऐसे में सप्लाई और डिमांड के गणित को देखते हुए दूध की कीमत बढ़नी चाहिए थी. हालाँकि, हों इस विपरीत हो है. बताया मांग कम और उत्पादन अधिक होने की वजह से दामों में गिरावट दर्ज हो रही है. इसके अलावा राज्य में मिलावट दूध का उत्पादन भी कीमतों में गिरावट का एक बड़ा कारण है। कई किसानों का आरोप है की यह दूध कंपनियों की रेट कम करने की चाल है।