Buldhana : कपास को नहीं मिल रहा भाव तो जमाखोरी में जुटे किसान; राज्य में जिनिंग-प्रेसिंग उद्योग ठप, 3 लाख श्रमिक भुखमरी की कगार पर

    23-Nov-2023
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बुलढाणा : कपास को उत्पादन लागत के आधार पर भाव नहीं मिलने के कारण किसानों ने फिलहाल कपास भंडारण पर जोर दिया है। ऐसे में आवश्यक कच्चा माल उपलब्ध नहीं होने से जिनिंग-प्रेसिंग उद्योग ठप पड़ा हुआ है। इससे 3 लाख श्रमिक भुखमरी की कगार पर है.
 
राज्य का कभी वैभव रहे कपास और जिनिंग उद्योग अब संकट में है। राज्य में 550 जिनिंग में से 500 जिनिंग और उनकी मशीनें फिलहाल बंद हैं. एक साल में 4000 करोड़ रुपए का टर्नओवर करने वाली यह इंडस्ट्री पिछले दो साल से बंद है। कारण यह है कि इस जिनिंग उद्योग के लिए आवश्यक कच्चा माल कपास है और कपास की कमतरता के चलते जिनिंग उद्योग इस समय संकट में है।
 
किसानो द्वारा कपास का भंडारण
 
पिछले साल कपास की कीमत 6,000 से 7,000 रुपये प्रति क्विंटल थी और इस साल भी कीमत उतनी ही है. यही कारन है की उचित दाम नहीं मिलने से किसानों ने घर पर ही कपास का भंडारण कर लिया है. पिछले साल का चालीस से पचास प्रतिशत कपास अभी भी किसानों के घरों में जमा है। इस साल भी कपास का 70 फीसदी सीजन खत्म हो चुका है और कपास किसानों ने जमाखोरी कर रखी है. निजी व्यापारी कपास के लिए प्रति क्विंटल छह से साढ़े छह हजार रुपये का भुगतान कर रहे हैं, इसलिए किसान कपास को बिक्री के लिए बाजार में नहीं लाते हैं, क्योंकि प्रति क्विंटल कपास उत्पादन की लागत इससे अधिक है. ऐसे में किसान सही कीमत के इंतजार में कपास का भंडारण कर लेते हैं।
 
प्रदेश में जिनिंग उद्योग ठप
 
चूंकि जिनिंग उद्योग पिछले दो वर्षों से ठप है, इसलिए कई जिनिंग उद्योग घाटे में चल रहे हैं। कारण यह है कि जिनिंग बंद होने के बावजूद जिनिंग को बिजली आपूर्ति, सुरक्षा लागत और अन्य रखरखाव पर खर्च करना पड़ रहा है। जिनिंग उद्योग के प्रबंधकों की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द किसानों को इस उद्योग के लिए आवश्यक कच्चे माल यानी कपास की उचित गारंटी दे.
 
3 लाख श्रमिक भुखमरी की कगार पर
 
कपास और ओटाई उद्योग कभी राज्य की शान थे। विदर्भ, मराठवाड़ा और खानदेश ऐसे क्षेत्र हैं जहां कपास की खेती की जाती है और बड़ी मात्रा में उपज होती है। अतः इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में जिनिंग उद्योग हैं। राज्य में कुल 550 जिनिंग उद्योग हैं और लगभग तीन लाख श्रमिक अपनी आजीविका चला रहे हैं। लेकिन, पिछले दो साल से जिनिंग उद्योग ठप होने से राज्य के तीन लाख श्रमिकों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गयी है. जरूरत है कि सरकार इसका तत्काल समाधान निकाले और किसानों को कपास की सही गारंटीशुदा कीमत मिले.