नागपुर : कृषि उपज की उपलब्धता के बावजूद बाजार में सरकारी खरीद केंद्र शुरू नहीं होने से विदर्भ के कपास, धान, सोयाबीन उत्पादक किसान परेशानी में हैं. दूसरी ओर, किसानों की उन्नति होने का दावा करने वाली सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस दोनों दलों के नेता मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में व्यस्त होने के कारण किसानों के मुद्दे को नजरअंदाज कर चुप्पी साध ली है।
दिवाली के वक़्त सरकारी फसल खरीदी केंद्र बंद
विदर्भ में दिवाली के दौरान खरीफ सीजन की कपास, सोयाबीन और धान की फसलों की कटाई की जाती है। ये नकदी फसलें होती हैं. इसे बेचकर आने वाले पैसे से दिवाली मनाने की परंपरा है, लेकिन दूसरी ओर कुछ वर्षों से इस सीजन के दौरान सरकारी फसल खरीदी केंद्र बंद कर दिया गया है. इसका असर व्यापारियों के साथ-साथ किसानों पर पड़ रहा है. पश्चिम विदर्भ में मुख्य रूप से कपास और सोयाबीन दो प्रमुख नकदी फसलें है. उसी प्रकार पूर्वी विदर्भ में धान बड़ी मात्रा में उगाया जाता है। दरअसल, दिवाली में इन फसलों के लिए सरकारी खरीद केंद्र खुलने की उम्मीद थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लिहाजा, किसानों के पास व्यापारियों द्वारा ली जाने वाली कीमत पर उपज बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सरकार किसानों की इस लूट को खुली आंखों से देख रही है, लेकिन इस पर कुछ करने को तैयार नहीं है।
किसान बेबस, नेता अपने में मग्न
पूर्वी विदर्भ में बीजेपी के कई दिग्गज नेता हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले नागपुर से हैं. वही, सरकार में शामिल विदर्भ के कई नेता भी कैबिनेट में हैं. महागठबंधन के घटक दल एनसीपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल (अजित पवार) और विपक्षी दल के नेता और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दोनों धान बेल्ट यानी भंडारा-गोंदिया से हैं. लेकिन इन सभी नेताओं ने किसानों के मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया. सत्ताधारी दल ने किसानों की लूट रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है और विपक्षी दल के नेताओं ने भी सरकार से इस संदर्भ में सवाल पूछने की हिमाकत तक नहीं की.
सभी नेता पार्टी चुनाव प्रचार में व्यस्त
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिएशुक्रवार (17 जून) को मतदान शुरू हो गया। लेकिन उससे पहले बीजेपी और कांग्रेस के नेता दो हफ्ते से मध्य प्रदेश में डेरा डाले हुए हैं. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने विदर्भ से लगते एमपी के कई जिलों में प्रचार बैठकें कीं. जबकि विधायक प्रवीण दटके और कुछ अन्य नेता भी विभिन्न जिलों में प्रचार रैलियां कर रहे थे। पूर्व मंत्री और सावनेर विधायक सुनील केदार और कांग्रेस से यशोमति ठाकुर समेत विदर्भ के कई नेता चुनाव प्रचार में शामिल थे. उपरोक्त सभी नेता किसानों के सवालों से ज्यादा पार्टी द्वारा दी गई जिम्मेदारी को अहम मानते हैं, इसलिए उनके लिए किसान फिलहाल हवा में हैं.
सुप्रिया सुले का ट्वीट
विदर्भ में किसानों के मुद्दे पर जन प्रतिनिधि चुप हैं, वहीं एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने ट्वीट कर इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान खींचा है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा की "दिवाली बीत जाने के बावजूद विदर्भ में धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं किए गए हैं. इसलिए किसानों को अनिच्छा से कम कीमत पर निजी व्यापारियों को धान बेचना पड़ा। इससे उन्हें भारी नुकसान हुआ है और दिवाली भी फीकी हो गयी है. सरकार के इस विलंब और कृषि विरोधी रुख से किसान प्रभावित हुए हैं। किसान पहले से ही महंगाई के जाल में फंसे हुए हैं। सरकार का कर्तव्य है कि वह विभिन्न तरीकों से किसानों की मदद करे। लेकिन इस तरह से धान क्रय केंद्रों को बंद रखकर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूर किया जा रहा है, यह काफी परेशान करने वाला मामला है."