महात्मा फुले जन आरोग्य योजना से हटाया गया दंत चिकित्सा उपचार

    01-Nov-2023
Total Views |
  • राज्य में गरीब मरीजों का अभिभावक कौन?
mahatma-phule-jan-arogya-yojana-excludes-dental-treatment - Abhijeet Bharat
 
नागपुर : केंद्र और राज्य सरकार गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए स्वास्थ्य देखभाल के लिए बहुत कुछ कर रही हैं। लेकिन महंगे दंत चिकित्सा उपचार महात्मा फुले जन आरोग्य योजना के अंतर्गत शामिल नहीं है। ऐसे में गरीब दंत रोगियों का अभिभावक कौन है, यह सवाल अनुत्तरित है। वर्तमान में राज्य में दांतों का इलाज काफी महंगा है। इस हिसाब से निजी अस्पतालों में दंत प्रत्यारोपण की कीमत करीब 25 हजार रुपए होती है। दंत प्रक्रियाओं के लिए 35 हजार से 1 लाख रुपए, म्यूकर माइकोसिस के बाद पुनर्निर्माण सर्जरी के लिए एक लाख रुपए से अधिक, कॉस्मेटिक फिलिंग और रूट कैनाल सहित अन्य छोटे और बड़े उपचारों के लिए 10 हजार रुपए है।
 
वर्तमान में, महात्मा फुले जन आरोग्य योजना मुंबई, औरंगाबाद, नागपुर और मुंबई में नायर म्यूनिसिपल डेंटल कॉलेज के सरकारी डेंटल कॉलेजों और अस्पतालों में चालू नहीं है। इसलिए, महात्मा फुले जन आरोग्य योजना के अंतर्गत आने वाले दंत संबंधी कैंसर और अन्य बीमारियों के मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं तो उन्हें कुछ राशि का भुगतान करना पड़ता है। उन्हें मुफ्त इलाज के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जाना पड़ता है। मेडिकल अस्पताल के एक वार्ड का उपयोग नागपुर में सरकारी डेंटल कॉलेज द्वारा किया जाता है। इसलिए इस मरीज को मेडिकल योजना में रखा जा रहा है। वर्तमान में गरीब और मध्यम वर्ग के मरीजों के लिए केंद्र सरकार द्वारा आयुष्मान भारत और राज्य सरकार द्वारा महात्मा फुले जन आरोग्य योजना लागू की जा रही है। इस योजना के लिए नागरिकों के स्वास्थ्य बीमा का भुगतान सरकार करती है। इस योजना में दांतों का इलाज नहीं होने से मरीजों को आर्थिक परेशानी के साथ-साथ मानसिक परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है।
 
ऋण लेकर करना पड रहा उपचार
 
कोरोना काल में 'रेमडेसिवीर इंजेक्शन' और 'स्टेरॉयड' समेत अन्य दवाएं लेने वाले कुछ मरीजों को 'म्यूकर माइकोसिस' हो गया। इसके बाद सरकार ने 'म्यूकर माइकोसिस' को योजना में शामिल कर लिया। ब्लैक फंगस वाले मरीज के शरीर के हिस्से को सर्जरी करके निकालना पड़ता है। कई लोगों को अपने जबड़े और दांत निकलवाने पड़े। इन रोगियों को अंततः कृत्रिम दांत या जबड़े लगाने के लिए पुनर्वास सर्जरी की आवश्यकता होती है। महात्मा फुले जन आरोग्य योजना में यह सर्जरी शामिल नहीं होने से मरीजों को परेशानी हो रही है। इसमें नागपुर जिले सहित कुछ अन्य जिलों में जिला योजना समिति से राशि उपलब्ध कराकर सर्जरी की गई। हालांकि, जिन लोगों को पैसा नहीं मिला उन्हें इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ा।
 
कॉलेज के अनुसार मरीजों की संख्या
 
राज्य में वित्तीय वर्ष 2019-20 में मुंबई के सरकारी डेंटल कॉलेज एवं अस्पताल के बाह्य रोगी विभाग में 66 हजार 862, औरंगाबाद के सरकारी डेंटल कॉलेज में 39 हजार 764, सरकारी डेंटल में 26 हजार 484 मरीजों का इलाज किया गया। नागपुर के कॉलेज में 12 हजार 240, मुंबई के ग्रांट मेडिकल कॉलेज में 10 हजार 500, मेयो हॉस्पिटल में 16 हजार 203, यवतमाल के वसंतराव नाईक मेडिकल कॉलेज में 16 हजार 203 दंत रोगियों का इलाज किया गया। यह संख्या हर साल बढ़ती जा रही है।
 
अधिकारियों का यह ही कहना....
 
इस विषय पर संपर्क करने पर महात्मा फुले जन आरोग्य योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मिलिंद सुंदरकर ने कहा कि वह इस मामले पर संबंधित निदेशक से जानकारी लेंगे। स्वास्थ्य सेवाओं के सहायक निदेशक रवि शेट्टी ने कहा कि महात्मा फुले जन आरोग्य योजना में 'माध्यमिक' और 'तृतीयक' बीमारियों का इलाज शामिल है। हालांकि अधिकांश दंत चिकित्सा उपचार शामिल नहीं हैं, कुछ पुनर्निर्माण सर्जरी भी योजना में शामिल हैं।
 
सरकार द्वारा मौखिक स्वास्थ्य की उपेक्षा की जाती है। सरकारी योजना में ओरल हेल्थ न होने से मरीज मुफ्त इलाज से वंचित हो रहे हैं। सरकार को तत्काल मौखिक उपचार प्रक्रिया को महात्मा फुले जन आरोग्य योजना के अंतर्गत शामिल करना चाहिए।
 
- डॉ. संजय जोशी (प्रदेश अध्यक्ष, इंडियन डेंटल एसोसिएशन)